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जीती 22 लड़ाइयां, अकबर को हराया और मुगलों से पहले दिल्ली पर किया राज... कौन हैं ये हिंदू राजा?

भारत के नेपोलियन कहे जाने वाले हेमचंद्र विक्रमादित्य, 16वीं सदी में मुघल साम्राज्य को हराकर दिल्ली के सिंहासन पर बैठे थे. उन्होंने 22 युद्धों में विजय प्राप्त की, लेकिन पानीपत की प्रसिद्ध लड़ाई में एक दुर्घटना ने उनकी जीत को हार में बदल दिया. हेमू की मौत के बाद मुघल साम्राज्य ने दिल्ली पर अपनी पकड़ मजबूत की, लेकिन उनका साहस और सैन्य कौशल आज भी भारतीय इतिहास में याद किया जाता है.

जब भी कभी दिल्ली के इतिहास की बात जाती है तो बाबर, हुमायूं, शाहजहां और औरंगजेब जैसे मुघल सम्राटों का नाम जरुर आता हैं. जिनका काफी समय राज रहा, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब एक हिंदू राजा ने मुघल साम्राज्य को हराया और दिल्ली की गद्दी पर बैठा. वो हैं हेमचंद्र विक्रमादित्य, जो 16वीं सदी में दिल्ली के सिंहासन पर बैठने वाले अंतिम हिंदू शासक थे. हेमू को भारत का नेपोलियन भी कहा जाता है.

हेमू ना केवल एक साहसी योद्धा थे, बल्कि एक कुशल प्रशासक भी रहे. उनके सैन्य कौशल की सराहना उनके दोस्तों और दुश्मनों दोनों ने की. इतिहासकार आर.सी. मजुमदार, अपनी किताब 'शेर शाह' के एक अध्याय में 'हेमू: एक भुला हुआ नायक' में लिखते हैं कि पानीपत की लड़ाई में एक दुर्घटना ने हेमू की जीत को हार में बदल दिया. अगर ऐसा ना होता, तो वो दिल्ली में मुघल साम्राज्य की जगह एक हिंदू वंश की स्थापना कर सकते थे.

हेमू का अद्भुत सैन्य कौशल और प्रशासनिक क्षमताएं

हेमू को आदिल शाह के शासनकाल में 'वकील-ए-आला' का पद प्राप्त था, जो प्रधानमंत्री के बराबर था. जब आदिल शाह को ये पता चला कि हुमायूं ने दिल्ली का सिंहासन पुनः प्राप्त कर लिया है, तो उसने हेमू के मुघल साम्राज्य को पूरी तरह से उखाड़ फेंकने का मिशन सौंपा. हेमू इस युद्ध में विजय हुए और 22 और युद्धों में भी उन्होंने आदिल शाह के लिए जीत हासिल की. कहा जाता है कि हेमू के रहते हुए कोई भी उन्हें हराने में सक्षम नहीं था और यही कारण है कि उन्हें भारत का नेपोलियन कहा जाता है.

पानीपत की लड़ाई और हेमू की बड़ी जीत

1556 में हुमायूं की मौत के बाद, अकबर ने दिल्ली का शासन संभाला. हेमू ने इसका फायदा उठाया और मुघल सेना पर आक्रमण कर दिया. ये पानीपत की प्रसिद्ध लड़ाई थी, जिसमें हेमू ने अकबर को हराया. हेमू ने अपनी जीत का दावा करते हुए दिल्ली पर कब्जा कर लिया और खुद को दिल्ली का शासक घोषित कर दिया. हालांकि, एक महीने बाद हेमू और अकबर के बीच एक और युद्ध हुआ. कहा जाता है कि इस युद्ध में हेमू बिना कवच के युद्ध भूमि में उतरे थे.

हेमू की मौत और मुघल सेना का प्रतिशोध

मुन्तखाब-उत-तवारीख नाम की किताब में बदायूनी लिखते हैं कि हेमू के हमले इतने सटीक थे कि अकबर की सेना में अफरा-तफरी मच गई थी. हालांकि, मुघल सेना के लिए एक चमत्कारी घटना घटित हुई, जब अली क़ुली शैबानी के सैनिकों ने हेमू की सेना पर बाणों की बौछार की. इनमें से एक बाण हेमू की आंख को चीरते हुए उनके सिर में घुस गया. इसके बावजूद, हेमू ने लड़ाई जारी रखी, लेकिन अंततः वो बेहोश हो गए और गिर पड़े. मुघल सेना ने उन्हें पकड़ लिया और अकबर के कमांडर बैराम खान ने हेमू की सिर कलम करने का आदेश दिया.

मुघल साम्राज्य के लिए एक बड़ी चेतावनी

हेमू की मौत के बाद मुघल साम्राज्य ने दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत की, लेकिन उनकी साहसिकता और युद्धकला आज भी भारतीय इतिहास में एक प्रेरणा के रूप में जीवित है. अगर पानीपत की लड़ाई में हेमू की आंख पर बाण ना लगता, तो शायद भारत के इतिहास की धारा कुछ और ही होती. 

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04 March 2025, 06:02 PM IST

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