इंसानों का मांस और दिमाग खा जाते हैं ये खुंखार जनजाति, सदियों पुरानी है इनकी परंपरा
दुनिया भर में करीब 5,000 अलग-अलग जनजातिया है. इनकी आबादी करीब 250 मिलियन से 600 मिलियन के बीच है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे खुंखार जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं जो इंसानो का मांस तो छोड़ो दिमाग भी खा जाते हैं. ये लोग दुनिया के सबसे खतरनाक जनजाति के तौर पर जाने जाते हैं. तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

आज के हाई-टेक युग में जहां दुनिया डिजिटल और मॉडर्न टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रही है, वहीं कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां इंसान अब भी आदिम युग में जी रहे हैं. दुनिया में करीबन 250 मिलियन से ज्यादा अलग-अलग जनजाति के लोग इस धरती पर रहते हैं. लेकिन एक ऐसी जनजाति भी जो अपनी रहस्यमयी परंपराओं और विचित्र रीतियों के लिए जानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि वे अपने मारे गए दुश्मनों का मांस और मस्तिष्क खाते हैं, क्योंकि उनकी मान्यता है कि इससे उनके पूर्वजों की आत्माओं को शक्ति मिलती है.
इसका नाम है असमत जनजाति, जो इंडोनेशिया के दक्षिण पापुआ प्रांत में रहती है. ये लोग अपने अनोखे तथा डरावने रीति-रिवाजों के कारण दुनिया की सबसे खतरनाक जनजातियों में गिनी जाती है. आइए जानते हैं इस रहस्यमयी और खतरनाक जनजाति के बारे में विस्तार से.
कौन हैं असमत जनजाति
असमत जनजाति की खोज पहली बार 1623 में यूरोपीय लोगों ने की थी, लेकिन 1950 के दशक तक यह बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटी रही. यह जनजाति इंडोनेशिया के पापुआ प्रांत में स्थित असमत जिले में रहती है, जो घने मैंग्रोव जंगलों, दलदलों और घने वर्षावनों से घिरा हुआ क्षेत्र है. इस जनजाति की खासियत यह है कि इन्होंने आज भी अपनी पुरानी परंपराएं और अनुष्ठानिक रीति-रिवाजों को जिंदा रखा है. इनमें सबसे ज्यादा डराने वाली प्रथा है नरभक्षण. इनके लिए यह केवल भोजन का साधन नहीं, बल्कि परंपरा भी है जो सदियों से निभाते आ रहे हैं.
नरभक्षण की अनोखी परंपरा
असमत जनजाति के लोग न केवल इंसानी मांस खाते हैं, बल्कि वे अपने दुश्मनों की खोपड़ी को साफ करके उसे सजावट के रूप में अपने घरों में रखते हैं. ये लोग मानते हैं कि ऐसा करने से मृतक की आत्मा उनकी रक्षा करती है और उन्हें ताकत देती है. नरभक्षण की इस प्रक्रिया में वे मरे हुए दुश्मनों के शरीर के हिस्सों को साबूदाने में मिलाकर ताड़ के पत्तों में लपेटते हैं और फिर आग में भूनकर खाते हैं. यह उनके पारंपरिक भोजन का एक हिस्सा माना जाता है. इसके अलावा, दुश्मनों के खून का उपयोग लकड़ी की मूर्तियों को चमकाने के लिए किया जाता है.
असमत लोगों की रहस्यमयी पहचान
असमत जनजाति के पुरुष अपने शरीर को लाल, काले और सफेद रंग से रंगते हैं, खोपड़ी की टोपी पहनते हैं और हाथों में पारंपरिक भाले लेकर चलते हैं. वे खुद को महान योद्धा और शिकारी मानते हैं. उनके लिए दुश्मनों को मारकर उनकी खोपड़ी को ट्रॉफी की तरह रखना शौर्य का प्रतीक है. इनकी मान्यता के अनुसार, अगर कोई मृत रिश्तेदार का बदला नहीं लेता, तो उसे कायर समझा जाता है और उसके पूर्वजों की आत्माएं अशांत हो जाती हैं.
माइकल रॉकफेलर की रहस्यमयी मौत
असमत जनजाति के खतरनाक स्वभाव को सबसे ज्यादा चर्चा तब मिली जब 1961 में न्यूयॉर्क के तत्कालीन गवर्नर नेल्सन रॉकफेलर के बेटे माइकल रॉकफेलर इस क्षेत्र में गायब हो गए. कहा जाता है कि माइकल को असमत जनजाति के लोगों ने मार डाला और उनका मांस खा लिया. हालांकि इस घटना की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई, लेकिन यह घटना असमत जनजाति की भयावहता को साबित करने के लिए काफी थी.
इस हुनर में माहिर हैं असमत लोग
असमत जनजाति केवल अपनी खतरनाक परंपराओं के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी लकड़ी की उत्कृष्ट नक्काशी और शिल्पकला के लिए भी जानी जाती है. वे जटिल और आकर्षक लकड़ी की मूर्तियां बनाने में माहिर होते हैं. हालांकि, यह भी कहा जाता है कि इनकी कुछ नक्काशियां इंसानी हड्डियों से बनाई जाती हैं.
क्या असमत जनजाति आज भी नरभक्षण करती है?
मानवविज्ञानियों के अनुसार, असमत जनजाति आज भी नरभक्षण की प्रथा का पालन करती है, लेकिन यह पहले की तुलना में काफी कम हो गई है. हालांकि, असमत क्षेत्र में जाना आज भी बहुत खतरनाक माना जाता है और स्थानीय प्रशासन लोगों को इस इलाके से दूर रहने की सलाह देता है.


