20 की उम्र में शादी कर ‘आदर्श बहू’ बनती जा रही लड़कियां, वायरल ट्रेड वाइफ Vodeo पर उठा सवाल
Indian Tradwife Trend: सोशल मीडिया पर इन दिनों वायरल हो रहे कुछ बेहद साधारण मगर चौंकाने वाले वीडियो ने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है. इन वीडियो में 20 साल की नवविवाहित भारतीय लड़कियों की रोजमर्रा की घरेलू जिंदगी को दिखाया गया है सुबह जल्दी उठना, खाना बनाना, पूजा-पाठ, सास-ससुर की सेवा, और पूरे दिन घर के काम. न तो कोई दिखावा, न ग्लैमर, बस एक सीधी-सादी दिनचर्या. लेकिन यही सादगी इंटरनेट पर तूफान ला चुकी है.

Viral Video: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक अजीबो गरीब वीडियो ने तहलका मचा दिया है. इस वीडियो में 20 साल की शादीशुदा भारतीय लड़कियों की रोजमर्रा की जिंदगी को दिखाया गया है. इन वीडियो में दिखने वाली लड़कियां सुबह जल्दी उठती हैं, खाना बनाती हैं, पूजा करती हैं, घर के कामकाज निपटाती हैं और सास-ससुर के साथ समय बिताती हैं. ये सब कुछ इतना सामान्य और सहज तरीके से दिखाया जाता है कि यही सादगी इन वीडियो को वायरल बना रही है.
पर क्या ये वाकई सिर्फ सादगी और घरेलू जीवन की सुंदरता है या फिर समाज के गहरे सवालों का प्रतिबिंब? इन वीडियो ने इंटरनेट पर एक बहस छेड़ दी है क्या ये लड़कियां सच में अपनी मर्जी से ये जीवन चुन रही हैं या फिर वे उसी ढांचे में ढाली जा रही हैं जो पीढ़ियों से चलता आया है?
जब घरेलू जीवन बना सोशल मीडिया ट्रेंड
पिछले साल पश्चिमी देशों में "Tradwife" ट्रेंड तेजी से वायरल हुआ था, जिसमें महिलाएं परफेक्ट मेकअप और डिजाइनर कपड़ों में घर संभालते हुए, बेकिंग करते हुए और बच्चों की देखभाल करते हुए नजर आती थीं. भारत में अब इसी ट्रेंड का देसी रूप सामने आया है लेकिन यहां की वीडियो न तो ज्यादा स्टाइलिश हैं और न ही फिल्मी. ये वीडियो साधारण हैं, घरेलू हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात इनमें लड़कियों की उम्र बहुत कम है.
इन रील्स में दिखने वाली लड़कियां खुद को "girl" कहती हैं, "woman" नहीं. और शायद यही बात है जो इन्हें वायरल बना रही है. लोग इन वीडियो को 'आदर्श पत्नी' की मिसाल मानते हैं, वहीं कई महिलाएं इन्हें चेतावनी की तरह देखती हैं.
ये प्रेरणा नहीं, कंडीशनिंग है-फाल्गुनी वसावड़ा
मार्केटिंग प्रोफेसर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर डॉ. फाल्गुनी वसावड़ा कहती हैं, ये बहुत परेशान करने वाला ट्रेंड है. 20-21 साल की उम्र में क्या वाकई इन लड़कियों को पता है कि दुनिया में और क्या-क्या विकल्प हैं? क्या उन्हें अपनी पसंद खुद तय करने की आज़ादी मिली है?" उनकी यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई और कई लोगों ने सहमति जताई कि यह सब कंडीशनिंग का परिणाम हो सकता है.
पसंद और पैटर्न में फर्क है
नोएडा की काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट श्रेया कौल का कहना है कि एक नारीवादी होने के नाते मैं मानती हूं कि अगर कोई युवती सच में 21 की उम्र में शादी को चुनती है, तो उसका सम्मान होना चाहिए. लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह समाज लंबे समय से जल्दी शादी को रोमांटिसाइज करता आया है. उनका असली चिंता इस ट्रेंड के महिमामंडन से है. अगर हम किसी एक जीवनशैली को आदर्श घोषित कर देते हैं, तो हम उन लाखों महिलाओं को भुला देते हैं जिनके पास विकल्प ही नहीं होते.
कम उम्र में शादी और मानसिक विकास
श्रेया चेतावनी देती हैं कि 21 की उम्र में इंसान का मस्तिष्क, सोचने-समझने की शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता अभी भी विकसित हो रही होती है. अगर आप उस समय पत्नी बन जाती हैं, तो यह विकास समय से पहले रुक सकता है.
आजादी या सोशल मीडिया स्क्रिप्ट?
यह साफ है कि ये वायरल वीडियो सिर्फ किचन रूटीन या घरेलू कार्यों का दस्तावेज नहीं हैं, ये बड़े सवाल खड़े करते हैं क्या यह वास्तव में उनका 'चॉइस' है, या समाज ने उन्हें पहले से तय भूमिका में ढाल दिया है?


