score Card

'मैं अजीब लगता था...', अमेरिका से लखनऊ आने तक, यूट्यूब CEO की कहानी

यूट्यूब के सीईओ नील मोहन ने निखिल कामत के पॉडकास्ट में अपने लखनऊ के स्कूली दिनों, हिंदी सीखने के संघर्ष और बचपन से तकनीक के प्रति जुनून की प्रेरणादायक कहानी साझा की.

यूट्यूब के सीईओ नील मोहन हाल ही में निखिल कामत के पॉडकास्ट में शामिल हुए, जहां उन्होंने तकनीक, सोशल मीडिया और यूट्यूब एल्गोरिद्म से लेकर अपनी स्कूली शिक्षा तक कई विषयों पर खुलकर बातचीत की. इस बातचीत में सबसे दिलचस्प मोड़ तब आया, जब उन्होंने अपने बचपन के कुछ अनसुने किस्से साझा किए. खासकर लखनऊ के सेंट फ्रांसिस कॉलेज में बिताए गए स्कूल के दिनों की यादें.

नील मोहन ने बताया कि कैसे उनका शुरुआती जीवन भारत और अमेरिका के बीच बीता और कैसे ये दो संस्कृतियों का संगम उनके व्यक्तित्व और तकनीकी रुझानों को आकार देता गया. उनके संघर्ष, खासकर हिंदी सीखने का अनुभव, आज लाखों युवाओं को प्रेरणा दे सकता है.

अमेरिका से लखनऊ तक की यात्रा

नील मोहन का जन्म भारत में हुआ था और उनके पिता आईआईटी से पढ़ाई के बाद अमेरिका की परड्यू यूनिवर्सिटी में सॉयल टेस्टिंग में पीएचडी कर रहे थे. इसी दौरान उनका परिवार अमेरिका चला गया. वहां का माहौल, टेक्नोलॉजी और पॉप कल्चर जैसे Transformers और Star Wars ने नील को गहराई से प्रभावित किया. लेकिन साल 1986 में जब नील 7वीं कक्षा में थे, तब उनका परिवार वापस भारत लौट आया और उन्होंने लखनऊ के प्रतिष्ठित सेंट फ्रांसिस कॉलेज में दाखिला लिया.

हिंदी नहीं आती थी, लेकिन कभी हार नहीं मानी

लखनऊ लौटने पर नील को सबसे बड़ा चैलेंज भाषा का सामना करना पड़ा. वे हिंदी बोल नहीं पाते थे और इससे स्कूली जीवन में घुलने-मिलने में शुरुआती परेशानी आई. उन्होंने पॉडकास्ट में कहा कि जब मैं अमेरिका में था, तो मुझे बेसबॉल, ट्रांसफॉर्मर्स जैसे शौक थे. लेकिन जब मैं भारत आया, तो मेरी बोली अजीब लगती थी और मेरे पास लोगों से जुड़ने के लिए साझा अनुभव नहीं थे.

उनके साथ पढ़ चुके शख्स शांतनु कुमार ने कहा कि नील सातवीं में हमारे सेक्शन D में थे. शुरुआत में हिंदी नहीं आती थी, लेकिन उन्होंने बहुत जल्दी सीख लिया और दसवीं में हिंदी में भी अच्छे अंक प्राप्त किए. वहीं, सेंट फ्रांसिस कॉलेज की पूर्व शिक्षिका निशि पांडे ने बताया कि उनकी हिंदी शुरुआत में थोड़ी अंग्रेज़ी टच वाली थी, लेकिन उन्होंने मेहनत से इसमें सुधार किया. जब कभी छात्र उनकी बोली का मजाक उड़ाते, तो वे मुस्कुरा देते थे.

टेक्नोलॉजी के लिए बचपन से जुनून

नील मोहन ने कहा कि मैं टेक्नोलॉजिस्ट हूं, बचपन से ही तकनीक के लिए जुनून रहा है. लखनऊ में हाई स्कूल के दौरान मैंने एक छोटा सा सॉफ्टवेयर स्टार्टअप शुरू किया था, जो छात्रों और शिक्षकों के लिए सॉफ्टवेयर बनाता था. बचपन से तकनीक के लिए इस दीवानगी ने ही उन्हें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी तक पहुंचाया, जहां से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया.

calender
27 May 2025, 03:11 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag