आदित्य बिड़ला ग्रुप की बड़ी जीत, दिल्ली हाईकोर्ट ने पीटर इंग्लैंड पर बताया एकमात्र अधिकार, जानें क्या है पूरा मामला
अदालत ने इससे पहले जुलाई 2024 में आदित्य बिड़ला को अंतरिम राहत दी थी, जब उसने फ्रेंड्स इंक और उसके प्रतिनिधियों (प्रतिवादियों) को अपने साइनबोर्ड या चालान पर 'पीटर इंग्लैंड' का उपयोग करने से रोक दिया था. प्रतिवादियों के वकील ने बाद में पुष्टि की कि वे अपनी किसी भी सामग्री पर 'पीटर इंग्लैंड' नाम का उपयोग नहीं कर रहे थे.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कि आदित्य बिड़ला समूह के परिधान ब्रांड ‘पीटर इंग्लैंड’ को एक मशहूर ट्रेडमार्क बताते हुए कहा है कि इसपर कंपनी का एकमात्र अधिकार है. जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा कि वादी आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड ने देशभर में कई स्टोरों की मौजूदगी के साथ अपने ब्रांड का व्यापक प्रचार-प्रसार किया है. इस वजह से समूचे भारत के ग्राहक इसके ट्रेडमार्क ‘पीटर इंग्लैंड’ को अच्छी तरह पहचानते हैं.
जस्टिस पुष्करणा ने एक आदेश में कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि ट्रेडमार्क ‘पीटर इंग्लैंड’ वादी और उसके उत्पादों एवं सेवाओं का एकल स्रोत पहचानकर्ता बन गया है. यह अदालत इस तथ्य पर भी ध्यान देती है कि वादी के पास ट्रेडमार्क ‘पीटर इंग्लैंड’ पर एकमात्र और अनन्य अधिकार हैं.’’ हाईकोर्ट ने यह आदेश ‘पीटर इंग्लैंड’ ट्रेडमार्क का प्रतिवादियों द्वारा इस्तेमाल रोकने की अपील करने वाली याचिका पर विचार करते हुए दिया है.
आदित्य बिड़ला ग्रुप की याचिका पर सुनाया फैसला
अदालत ने आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड - जो पीटर इंग्लैंड ट्रेडमार्क का मालिक है - द्वारा दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन के मुकदमे पर फैसला सुनाया, जो प्रतिवादी के खिलाफ था, जो 'पीटर इंग्लैंड' चिह्न का उपयोग करते हुए पाया गया था.
अदालत ने इससे पहले जुलाई 2024 में आदित्य बिड़ला को अंतरिम राहत दी थी, जब उसने फ्रेंड्स इंक और उसके प्रतिनिधियों (प्रतिवादियों) को अपने साइनबोर्ड या चालान पर 'पीटर इंग्लैंड' का उपयोग करने से रोक दिया था. प्रतिवादियों के वकील ने बाद में पुष्टि की कि वे अपनी किसी भी सामग्री पर 'पीटर इंग्लैंड' नाम का उपयोग नहीं कर रहे थे.
1889 में हुई थी पीटर इंग्लैंड की स्थापना
इस बीच, आदित्य बिड़ला ने अदालत से अपने ब्रांड 'पीटर इंग्लैंड' को एक प्रसिद्ध चिह्न घोषित करने का भी आग्रह किया. इसके वकील ने अदालत को बताया कि 'पीटर इंग्लैंड' की स्थापना एक सदी पहले, 1889 में कैरिंगटन विएला गारमेंट्स लिमिटेड, इंग्लैंड द्वारा की गई थी, जिसने 1997 में भारत में इस ब्रांड को पेश किया था.
वर्ष 2000 में आदित्य बिड़ला ने खरीदा था पीटर इंग्लैंड
ब्रांड को 2000 में आदित्य बिड़ला समूह द्वारा अधिग्रहित किया गया था, जो वर्तमान में विभिन्न वर्गों में 'पीटर इंग्लैंड' ट्रेडमार्क का मालिक है. आदित्य बिड़ला ने तर्क दिया कि 'पीटर इंग्लैंड' एक प्रसिद्ध चिह्न घोषित किए जाने के योग्य है. इसने यह भी बताया कि कई प्रमुख हस्तियों ने 'पीटर इंग्लैंड' ब्रांड का समर्थन किया है, जिसमें आयुष्मान खुराना, चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट टीम के खिलाड़ी आदि शामिल हैं.
अदालत ने आदित्य बिड़ला की दलीलों में योग्यता पाई और 'पीटर इंग्लैंड' को एक प्रसिद्ध चिह्न घोषित करने के लिए आगे बढ़ा. पीटर इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व खेतान एंड कंपनी के पार्टनर अंकुर संगल ने किया, साथ ही उनकी टीम में प्रमुख सहयोगी अंकित अरविंद और वरिष्ठ सहयोगी शाश्वत रक्षित शामिल थे. प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सोनिया बेमेरा ने किया.


