तलाक के बाद बढ़ सकता है आर्थिक बोझ, ऐसे बचाएं अपना क्रेडिट स्कोर
Divorce settlement India: भारत में तलाक केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी भारी साबित हो सकता है. जॉइंट लोन, क्रेडिट कार्ड और एलिमनी जैसी साझा वित्तीय जिम्मेदारियां अगर समय रहते सुलझाई न जाएं, तो यह व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं.

Divorce settlement India: भारत में तलाक न केवल भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण होता है, बल्कि इसका असर व्यक्ति की वित्तीय स्थिति और क्रेडिट स्कोर पर भी गहरा पड़ता है. खासकर तब, जब जोड़े वर्षों से साझा वित्तीय जिम्मेदारियों में बंधे होते हैं. ऐसे में अगर इन जिम्मेदारियों को कानूनी रूप से अलग नहीं किया गया या समय पर भुगतान नहीं किया गया, तो यह आर्थिक रूप से भारी नुकसान पहुंचा सकता है.
मई 2025 की स्थिति के अनुसार, तलाक या कानूनी अलगाव की प्रक्रिया से गुजर रहे भारतीय जोड़ों को बढ़ते वित्तीय जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है. जॉइंट लोन, क्रेडिट कार्ड, ईएमआई और एलिमनी जैसी साझा वित्तीय जिम्मेदारियां तलाक के बाद भी दोनों पक्षों पर असर डालती हैं. यदि समय रहते इन्हें सुलझाया नहीं गया, तो दोनों पक्षों का क्रेडिट स्कोर गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है.
जॉइंट लोन से राहत नहीं देता तलाक
भारत में कोर्ट से तलाक मिलने के बाद भी बैंक और एनबीएफसी (NBFCs) लोन से आपकी जिम्मेदारियों को खत्म नहीं मानते. यानी अगर किसी कपल ने साथ में होम लोन या पर्सनल लोन लिया है, तो तलाक के बाद भी दोनों लोन की जिम्मेदारी में बंधे रहते हैं. जब तक लोन को दोबारा फाइनेंस या री-स्ट्रक्चर नहीं किया जाता, तब तक दोनों पक्षों पर डिफॉल्ट का खतरा बना रहता है. यदि किसी एक पक्ष ने किस्त नहीं चुकाई, तो दोनों का क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है.
एलिमनी: जोखिम या राहत?
तलाक की वित्तीय जटिलताओं में एक बड़ा हिस्सा एलिमनी यानी भरण-पोषण का होता है. विशेषज्ञों के अनुसार, यदि एलिमनी का भुगतान नियमित रूप से किया जाए, तो यह क्रेडिट स्कोर को नुकसान नहीं पहुंचाता बल्कि समय पर भुगतान आपकी वित्तीय जिम्मेदारी को दर्शाता है. इससे भविष्य में लोन पाने की संभावना बेहतर हो सकती है.
वहीं, एलिमनी प्राप्त करने वाले के लिए यह एक स्थायी आमदनी का साधन बन सकता है. अगर एलिमनी की एकमुश्त राशि को म्यूचुअल फंड्स या अन्य निवेश साधनों में निवेश किया जाए, तो यह स्थायी आय उत्पन्न कर सकती है और व्यक्ति की आर्थिक स्थिरता को बढ़ा सकती है. यह आगे चलकर बेहतर क्रेडिट एलिजिबिलिटी का मार्ग खोलती है.
क्रेडिट कार्ड्स: छिपे हुए खतरे
तलाक के बाद भी अगर एक्स-स्पाउस किसी क्रेडिट कार्ड का ऑथराइज़्ड यूज़र बना रहता है और उसे समय पर हटाया नहीं गया, तो वह कार्ड का दुरुपयोग कर सकता है. इससे कार्ड की लिमिट ओवर हो सकती है या डिफॉल्ट हो सकता है, जिसका असर प्राइमरी कार्डहोल्डर के क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है.
होम लोन: अलगाव के बाद भी बंधे रिश्ते
संयुक्त होम लोन तलाक के बाद सबसे अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में से एक है. भले ही एक पार्टनर घर में रह रहा हो, लेकिन अगर लोन को उसके नाम पर री-फाइनेंस नहीं किया गया, तो दोनों ही लोन के लिए जिम्मेदार रहते हैं. ऐसे में यदि निवास कर रहा व्यक्ति किस्त नहीं चुकाता, तो दोनों के क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचता है.
क्रेडिट स्कोर बचाने के उपाय
वित्तीय सलाहकार तलाक के बाद कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की सलाह देते हैं ताकि क्रेडिट स्कोर पर असर न पड़े:
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सभी प्रमुख क्रेडिट ब्यूरो से अपनी क्रेडिट रिपोर्ट तुरंत जांचें
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कोर्ट डिक्री पर निर्भर न रहें, जॉइंट लोन को दोबारा फाइनेंस या बंद कराएं
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बैंक को सूचित करें और खातों में मालिकाना हक अपडेट करवाएं
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एक्स-स्पाउस से जुड़े सभी क्रेडिट कार्ड्स को फ्रीज़ या कैंसल करें
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ट्रांजिशन के दौरान ईएमआई डिफॉल्ट से बचने के लिए ऑटो-पे सेट करें
भारत में, जहां पारिवारिक संपत्ति और वित्तीय जिम्मेदारियां अक्सर एक-दूसरे में गुथी होती हैं, वहां तलाक के बाद इन संबंधों को समय रहते सुलझाना न केवल ज़रूरी है, बल्कि भविष्य की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए अनिवार्य भी है. याद रखें, क्रेडिट स्कोर सिर्फ एक नंबर नहीं है, यह आपकी नई शुरुआत की नींव है.


