'अगर मान ली होती सरदार पटेल की बात तो नहीं होता पहलगाम हमला', गुजरात में पीएम मोदी ने 1947 की भूल को किया याद
गुजरात के गांधीनगर में पीएम मोदी ने पाकिस्तान और आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि भारत आतंकवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने 5,536 करोड़ की विकास परियोजनाएं शुरू कीं और 1947 की ऐतिहासिक गलतियों की चर्चा की. सिंधु जल संधि की समीक्षा की मांग की और भारत की आर्थिक प्रगति पर गर्व जताया, जिसमें देश अब चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात के गांधीनगर में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार आतंकवाद को जड़ से मिटाने के संकल्प पर काम कर रही है.
विकास परियोजनाओं के उद्घाटन के साथ राष्ट्रवाद की गर्जना
गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में 5,536 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं के उद्घाटन के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा, “मैं दो दिन से गुजरात में हूं. मैंने वडोदरा, दाहोद, भुज और अहमदाबाद का दौरा किया और आज गांधीनगर पहुंचा. हर जगह एक देशभक्ति की भावना, तिरंगे की शान और भारत माता के प्रति अपार प्रेम देखने को मिला.” उन्होंने आगे कहा कि यह दृश्य प्रेरणादायक था और हर भारतीय के हृदय में राष्ट्र प्रेम की भावना प्रकट कर रहा था.
1947 की ऐतिहासिक भूल की याद दिलाई
सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने 1947 के बंटवारे और कश्मीर के हालात पर चर्चा की. उन्होंने कहा, “जब देश का विभाजन हुआ, तब ही उन जंजीरों को तोड़ देना चाहिए था. परन्तु ऐसा न हो सका और पाकिस्तान ने कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया.”
मोदी ने अफसोस जताया कि यदि उस समय सरदार वल्लभभाई पटेल की बात मानी गई होती और सेना को पीओके तक जाने दिया गया होता, तो आज यह स्थिति न बनती. उन्होंने कहा, “पिछले 75 वर्षों से देश ने आतंकवाद के कारण पीड़ा सही है, और हाल की घटनाएं उसी पुरानी भूल की गूंज हैं.”
पाकिस्तान के आतंकियों को राजकीय सम्मान पर सवाल
पीएम मोदी ने हालिया आतंकी हमलों और पाकिस्तान की भूमिका पर तीखा हमला करते हुए कहा, “6 मई के बाद जिन आतंकियों का अंतिम संस्कार किया गया, उन्हें पाकिस्तान में राजकीय सम्मान मिला. उनके ताबूतों पर पाकिस्तानी झंडा था और सेना ने उन्हें सलामी दी.”उन्होंने इसे ‘छद्म युद्ध’ कहने से इनकार करते हुए कहा, “यह एक खुला युद्ध है, जो सुनियोजित रणनीति के तहत चल रहा है. हमें अब उसी भाषा में जवाब देना होगा. भारत शांति चाहता है, लेकिन जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो हम चुप नहीं बैठ सकते.”
सिंधु जल संधि पर सवाल
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने सिंधु जल संधि पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इस समझौते में भारत के अधिकारों की उपेक्षा की गई है. "कश्मीर में बांधों से गाद निकालने तक की अनुमति नहीं दी गई. यह संधि देशहित में नहीं थी, और हमें अब अपने हितों की रक्षा करनी होगी," उन्होंने कहा.
भारत की वैश्विक आर्थिक प्रगति पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल की आर्थिक उपलब्धियों को भी जनता के सामने रखा. उन्होंने याद दिलाया, “26 मई 2014 को मैंने पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. तब भारत 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था. आज हम दुनिया में चौथे स्थान पर हैं.” उन्होंने विशेष रूप से उस क्षण को याद किया जब भारत ने यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ा था,"जो देश हम पर 250 वर्षों तक शासन करता रहा, आज हम उससे आगे निकल गए हैं. यह हमारे लिए गौरव की बात है, खासकर युवाओं के लिए, जिनमें इस बदलाव को लेकर उत्साह था."


