'अधिकार नहीं छोड़ेंगे', ईरान अमेरिका के साथ न्यूक्लियर प्रोग्राम पर समझौता करने को तैयार
ईरान ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका के साथ परमाणु मुद्दे पर वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन यूरेनियम संवर्धन पर कोई समझौता नहीं करेगा. प्रवक्ता बाघेई ने कहा कि अगर उद्देश्य सिर्फ हथियार न बनाना है, तो सहमति संभव है. राष्ट्रपति पेजेशकियन ने कहा कि वार्ता विफल भी हो जाए, तो ईरान आत्मनिर्भर है. अमेरिका चाहता है ईरान की परमाणु क्षमता सीमित हो ताकि हथियारों की दौड़ न हो.

ईरान ने संकेत दिया है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका के साथ संभावित वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन यूरेनियम संवर्धन को लेकर उसका रुख स्पष्ट और अटल है. यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हालिया बातचीत को 'बहुत अच्छा' बताया था.
हथियार नहीं, लेकिन अधिकार नहीं छोड़ेंगे
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर वार्ता का उद्देश्य सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग न हो, तो इस पर सहमति बनाना संभव है. उन्होंने कहा, “अगर यह तय करना है कि हमारा कार्यक्रम हथियार न बने, तो यह हमारे लिए कठिन नहीं है.”
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान के लिए शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा का अधिकार पूरी तरह से गैर-परक्राम्य है. ईरान का यह रुख लंबे समय से चला आ रहा है, जिसमें वह बार-बार यह दोहराता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम नागरिक जरूरतों के लिए है, न कि हथियारों के लिए.
वार्ता की संभावनाएं और शर्तें
जब बाघेई से पूछा गया कि ईरान और अमेरिका के बीच किस तरह समझौता हो सकता है, तो उन्होंने कहा कि 'बहुत सारे तरीके' मौजूद हैं, लेकिन उन्होंने उनकी कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी. उन्होंने यह भी कहा कि यदि अमेरिका की मंशा ईरान को उसके शांतिपूर्ण परमाणु अधिकार से वंचित करना है, तो यह स्थिति वार्ता की प्रक्रिया को ही बाधित कर देगी.
उनका मानना है कि किसी भी समझौते में ईरान की संप्रभुता और तकनीकी आत्मनिर्भरता को नुकसान नहीं पहुँचाया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि यदि अमेरिका की ओर से सद्भावना होगी, तो ईरान भी वार्ता के प्रति आशावान रहेगा.
हम आत्मनिर्भर हैं
ईरान के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने भी परमाणु मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका के साथ वार्ता विफल भी हो जाती है, तो ईरान का अस्तित्व खतरे में नहीं पड़ेगा. उन्होंने एक सरकारी मीडिया चैनल को बताया, “अगर वे बातचीत से इंकार कर देंगे या और प्रतिबंध लगाएंगे, तब भी हम भूखे नहीं मरेंगे. हम खुद को संभालने का रास्ता खोज लेंगे.” उनका यह बयान ईरान की आत्मनिर्भरता और विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है.
अमेरिका की चिंता
अमेरिका और विशेष रूप से डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की चिंता यह है कि अगर ईरान परमाणु हथियार बनाने में सक्षम होता है, तो इससे पश्चिम एशिया में हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है. ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि अगर ईरान वार्ता में सहयोग नहीं करता, तो उस पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे और सैन्य कार्रवाई भी संभव है.
ट्रंप प्रशासन का उद्देश्य है कि ईरान की परमाणु क्षमता को इस हद तक सीमित किया जाए कि वह भविष्य में परमाणु हथियार नहीं बना सके. वहीं, ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल बिजली उत्पादन और चिकित्सा अनुसंधान जैसे नागरिक उद्देश्यों के लिए है.


