अगर बैंक बंद हो जाए या लाइसेंस हो जाए रद्द, तो आपके जमा पैसों का क्या?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने न्यू-इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसके बाद बैंक के खाताधारक परेशान हैं. कई खाताधारकों के लाखों रुपये बैंक में फंसे हुए हैं, तो कुछ लोग अपनी सालों की पेंशन भी नहीं निकाल पा रहे हैं. बैंक शाखाओं के बाहर लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रही हैं, और लोग अपने पैसे निकालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने न्यू-इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसके बाद बैंक के खाताधारक परेशान हैं. कई खाताधारकों के लाखों रुपये बैंक में फंसे हुए हैं, तो कुछ लोग अपनी सालों की पेंशन भी नहीं निकाल पा रहे हैं. बैंक शाखाओं के बाहर लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रही हैं, और लोग अपने पैसे निकालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आरबीआई ने अगले 6 महीने तक बैंक से किसी भी प्रकार का लेन-देन करने पर रोक लगा दी है.
बैंक ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
न्यू-इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक ने बढ़ती भीड़ को देखते हुए एक हेल्पलाइन नंबर (9769008501) जारी किया है, जिस पर ग्राहक बैंक से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा, बैंक ने लॉकर सिस्टम को चालू रखा है, जिससे खाताधारक अपने लॉकर में जमा किए गए पैसे निकाल सकते हैं. हालांकि, बचे हुए पैसे को लेकर ग्राहकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, खासकर जब बैंक पर प्रतिबंध लगा है.
DICGC का महत्व और आरबीआई के नियम
आरबीआई की ओर से एक संस्था "डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन" (DICGC) की स्थापना की गई है, जो बैंक बंद होने की स्थिति में ग्राहकों की मदद करती है. यदि बैंक दिवालिया हो जाता है या बंद हो जाता है, तो यह संस्था ग्राहकों को एक निश्चित सीमा तक पैसा प्रदान करती है. DICGC के तहत ग्राहकों को एक निश्चित बीमा कवर मिलता है, जो बैंक के बंद होने पर उनके जमा धन को सुरक्षित करता है.
DICGC क्या है?
DICGC (जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम) का गठन भारतीय रिजर्व बैंक ने 1978 में किया था. यह संस्था ग्राहकों को बीमा कवरेज प्रदान करती है, ताकि बैंक के दिवालिया होने या बंद होने पर उनकी जमा राशि सुरक्षित रहे. इसके तहत, हर ग्राहक को 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर मिलता है. यह कवर सभी प्रकार के जमा खातों पर लागू होता है, चाहे वह बचत खाता हो, चालू खाता हो, या फिक्स्ड डिपॉजिट हो.
कितने पैसे मिलते हैं?
अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है, तो DICGC के तहत खाताधारकों को 5 लाख रुपये तक की राशि मिलती है. इसका मतलब, अगर किसी व्यक्ति ने बैंक में 5 लाख रुपये से अधिक राशि जमा की है, तो उसे 5 लाख रुपये ही मिलेंगे. अगर किसी के खाते में 5 लाख रुपये से कम जमा हैं, तो उसे उतनी ही राशि मिल जाएगी. इस बीमा कवरेज के जरिए ग्राहकों को अपनी जमा राशि का कुछ हिस्सा वापस मिल सकता है, हालांकि यह सिर्फ 5 लाख रुपये तक सीमित है.


