भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दर घटाई, रेपो रेट 6% से घटकर 5.5%
मानसून से पहले हुई एमपीसी बैठक में आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती की है. 0.50% की कमी के साथ अब रेपो रेट 5.5% हो गई है. यह कदम आर्थिक विकास को गति देने और कर्ज को सस्ता करने की दिशा में उठाया गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब ब्रिज का उद्घाटन कर कश्मीर को विकास और कनेक्टिविटी की नई राह पर ला खड़ा किया. यह वही कश्मीर है, जिसकी हरी-भरी वादियां, बर्फ से ढकी चोटियां और झीलें उसे धरती का स्वर्ग बनाती हैं. और अब इसी स्वर्ग को देश से स्थायी रूप से जोड़ने वाला रास्ता खुल गया है.
पीएम मोदी ने चिनाब ब्रिज के साथ-साथ भारत के पहले केबल-स्टे रेल पुल 'अंजी ब्रिज' और उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का भी उद्घाटन किया. इसके तहत दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को हरी झंडी दी गई—एक श्री माता वैष्णो देवी कटरा से श्रीनगर और दूसरी वहां से लौटने वाली. इनसे अब कटरा से श्रीनगर की यात्रा महज तीन घंटे में पूरी हो सकेगी.
इंजीनियरिंग का अद्भुत चमत्कार
चिनाब ब्रिज एक ऐतिहासिक संरचना है—359 मीटर ऊंचा और 1,315 मीटर लंबा यह ब्रिज एफिल टॉवर से भी ऊंचा है. 260 किमी/घंटा की हवा और भूकंप के झटकों को झेलने में सक्षम यह ब्रिज 20 वर्षों की कठिन इंजीनियरिंग का नतीजा है. इस प्रोजेक्ट में 36 सुरंगें और 943 छोटे-बड़े पुल बनाए गए हैं.
सैन्य ताकत को मिलेगा नया आधार
इस ब्रिज से सिर्फ आम लोगों का सफर आसान नहीं होगा, बल्कि भारतीय सेना के लिए रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्रों—जैसे लद्दाख—तक पहुंच आसान होगी. अब कश्मीर बर्फबारी के दिनों में भारत से कटेगा नहीं, बल्कि रेल संपर्क के जरिए हर मौसम में सैन्य और नागरिक आवागमन मुमकिन रहेगा.
पाकिस्तान और चीन की बढ़ी चिंता
नवंबर 2024 में खबरें आई थीं कि चीन इस ब्रिज की जासूसी करवा रहा है, जिसमें पाकिस्तानी एजेंसी ISI की भी भूमिका बताई गई थी. इससे साफ है कि न केवल यह ब्रिज भारत की कनेक्टिविटी का प्रतीक है, बल्कि यह दुश्मनों के लिए चिंता का कारण भी बन गया है.
कश्मीर से कन्याकुमारी तक सीधा रेल संपर्क
चिनाब ब्रिज के बन जाने से कश्मीर को कन्याकुमारी से जोड़ने का सपना पूरा हो गया है. यह सिर्फ विकास नहीं, बल्कि राष्ट्र एकता की दिशा में बड़ा कदम है.
राष्ट्रशक्ति का उद्घोष
कटरा स्टेडियम में पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित कर पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद राष्ट्रवाद की नई लहर को हवा दी. यह सिर्फ पुलों का उद्घाटन नहीं, बल्कि राष्ट्रशक्ति का सशक्त संदेश था—LAC से LoC तक.


