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शुरूआत में बनाई बढ़त लेकिन कुछ ही घंटों में 21500 रुपये तक गिरी चांदी, बाजार में मची हलचल

सोमवार को MCX पर चांदी ने रिकॉर्ड 2.54 लाख रुपये प्रति किलो छूने के बाद एक घंटे में 21,500 रुपये की बड़ी गिरावट दर्ज की. मुनाफावसूली और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमजोरी से बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः सर्राफा बाजार में सोमवार को चांदी ने ऐसा उतार-चढ़ाव दिखाया, जिसने निवेशकों को हैरान कर दिया. दिन की शुरुआत में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी की कीमतों ने नया इतिहास रच दिया. चांदी का भाव शुरुआत में बढ़कर 2.54 लाख रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया. लेकिन यह तेजी ज्यादा देर टिक नहीं सकी. कुछ ही घंटों के भीतर बाजार की दिशा पूरी तरह बदल गई और चांदी की कीमत एक झटके में करीब 21,500 रुपये प्रति किलो टूट गई.

एक घंटे में 21,500 रुपये की गिरावट

सुबह जब चांदी ने 2,54,174 रुपये प्रति किलो का स्तर छुआ, तब माना जा रहा था कि साल का आखिरी कारोबारी सत्र चांदी के नाम रहेगा. निवेशकों में जबरदस्त उत्साह दिखा, लेकिन अचानक बाजार में मुनाफावसूली शुरू हो गई. जैसे ही बड़े ट्रेडरों ने लाभ सुरक्षित करने के लिए बिकवाली की, चांदी के भाव तेजी से फिसलते चले गए और 2,32,663 रुपये प्रति किलो तक आ गए. इस तेज गिरावट ने बाजार में हलचल मचा दी.

क्यों आई इतनी तेज गिरावट?

विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट किसी एक कारण से नहीं, बल्कि कई फैक्टर्स के मिलेजुले असर से आई. चांदी में बीते कुछ समय से तेज तेजी देखने को मिल रही थी, ऐसे में मुनाफावसूली पूरी तरह स्वाभाविक मानी जा रही है. जब कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचती हैं, तो निवेशक जोखिम कम करने के लिए बिकवाली करते हैं, जिससे भाव अचानक नीचे आ जाते हैं.

अंतरराष्ट्रीय बाजार का असर

घरेलू बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार का भी चांदी की कीमतों पर गहरा असर पड़ा. ग्लोबल मार्केट में सिल्वर पहले 80 डॉलर प्रति औंस के करीब पहुंच गई थी, लेकिन बाद में यह फिसलकर 75 डॉलर के आसपास आ गई. इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिला. इसके अलावा रूस-यूक्रेन तनाव को लेकर कुछ सकारात्मक संकेत मिलने से ‘सेफ हेवन’ यानी सुरक्षित निवेश की मांग थोड़ी कमजोर पड़ी, जिससे चांदी पर दबाव बढ़ गया.

बीते एक साल में जबरदस्त रिटर्न

हालांकि गिरावट के बावजूद चांदी ने पिछले एक साल में निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है. दिसंबर 2024 में चांदी का भाव करीब 90 हजार रुपये प्रति किलो के आसपास था, जो अब 150 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ चुका है. सोमवार को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर चांदी ने यह साफ कर दिया कि लंबे समय के नजरिये से इसमें मजबूती बनी हुई है.

तेजी के पीछे मजबूत आधार

जानकारों के मुताबिक चांदी की कीमतों में तेजी के पीछे कई मजबूत वजहें हैं. औद्योगिक मांग में निरंतर बढ़ोतरी, निवेशकों का कीमती धातुओं की ओर झुकाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने चांदी की मांग को मजबूत किया है. खासतौर पर ग्रीन एनर्जी सेक्टर, इलेक्ट्रिक वाहनों और सोलर पैनल्स में चांदी के बढ़ते उपयोग ने इसकी कीमतों को सहारा दिया है.

आगे क्या करें निवेशक?

विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी में आगे भी उतार-चढ़ाव बना रह सकता है. अल्पकाल में मुनाफावसूली के दबाव से गिरावट दिख सकती है, लेकिन लंबी अवधि के निवेशकों के लिए चांदी अभी भी आकर्षक विकल्प बनी हुई है. ऐसे में निवेशकों को जल्दबाजी से बचते हुए बाजार की चाल को समझकर ही कोई फैसला लेने की सलाह दी जा रही है.

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