ट्रंप ने बढ़ाई H-1B वीजा फीस तो कनाडा के प्रधानमंत्री कॉर्नी ने भारतीयों को दिया बड़ा ऑफर, जानें क्या
H1B visa policy USA: अमेरिका की नई एच-1बी वीजा नीति में $1,00,000 शुल्क ने विदेशी तकनीकी कर्मचारियों, विशेषकर भारतीयों, में चिंता बढ़ा दी है. इसके परिणामस्वरूप कनाडा, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश उन्हें आकर्षित करने की तैयारी कर रहे हैं. बड़ी कंपनियां कनाडा में भर्ती तेज कर रही हैं, जिससे वैश्विक रोजगार पर असर पड़ेगा.

H1B visa policy USA: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा नीति में बड़े बदलाव किए हैं. नए नियमों के तहत नए आवेदनों पर 1,00,000 डॉलर का शुल्क लगाया गया है, जिसे प्रशासन ने दुरुपयोग और राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा बताते हुए उचित ठहराया. इस फैसले ने अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत विदेशी कर्मचारियों, विशेषकर भारतीयों, में असमंजस और चिंता पैदा कर दी है. वर्तमान एच-1बी धारकों की स्थिति पर फिलहाल कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है, लेकिन नए आवेदनों पर यह नियम 21 सितंबर, 2025 से लागू होगा.
कनाडा अवसर के रूप में उभर रहा है
अमेरिका की नई नीति के बाद कनाडा खुद को विदेशी तकनीकी कर्मचारियों के लिए एक विकल्प के रूप में स्थापित कर रहा है. प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने हाल ही में कहा कि कनाडा उन प्रतिभाओं को आकर्षित करने की तैयारी कर रहा है, जिन्हें पहले अमेरिका में एच-1बी वीजा मिलता था. कार्नी ने लंदन में संवाददाताओं से कहा कि यह एक अवसर है उन कर्मचारियों को आकर्षित करने का, जो पहले एच-1बी वीजा प्राप्त कर चुके थे. इनमें से कई प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं और काम के लिए स्थानांतरित होने को तैयार हैं.
वैश्विक तकनीकी कर्मचारियों की मांग
ब्रिटेन और जर्मनी जैसे अन्य देशों ने भी खुद को अमेरिका के विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना शुरू किया है. अमेरिकी नियमों की सख्ती के कारण वैश्विक तकनीकी विशेषज्ञ अब अन्य देशों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. विवेक सावकुर, बीसी-इंडिया बिज़नेस नेटवर्क के संस्थापकने कहा कि कनाडा इस अवसर को नीतिगत रूप से एकीकृत कर सकता है.
बड़ी कंपनियों की प्रतिक्रिया
सैन फ्रांसिस्को के स्टार्टअप इनक्यूबेटर वाई कॉम्बिनेटर के सीईओ गैरी टैन ने उल्लेख किया कि वैंकूवर और टोरंटो जैसे शहर अब अमेरिकी शहरों के बजाय फलेंगे-फूलेंगे. उन्होंने इसे अमेरिकी वीजा शुल्क को एक बड़ा गिफ्ट बताया क्योंकि इससे छोटी अमेरिकी कंपनियों को प्रतिभाओं को नियुक्त करने के लिए अतिरिक्त लागत झेलनी पड़ेगी. कनाडा के बड़े शहरों में Amazon, Microsoft और Alphabet जैसी दिग्गज तकनीकी कंपनियों के कार्यालय हैं. ये कंपनियां अमेरिकी शुल्क से बचने के लिए कनाडा में भर्ती प्रक्रिया तेज कर सकती हैं. उदाहरण के लिए, Amazon के वैंकूवर और टोरंटो केंद्रों में एक साल पहले 8,500 से अधिक कर्मचारी थे, जबकि Microsoft के वैंकूवर केंद्र में अप्रैल तक 2,700 कर्मचारी कार्यरत थे.
भारतीय कर्मचारियों पर असर
एच-1बी वीजा सिस्टम में भारतीय कर्मचारी सबसे बड़े लाभार्थी हैं, जिनका हिस्सा 72% से अधिक है. अमेरिका की नई नीति के कारण, भारतीय तकनीकी विशेषज्ञ अब कनाडा और अन्य देशों की ओर आकर्षित हो सकते हैं. इससे भारत में तकनीकी आउटसोर्सिंग और वैश्विक रोजगार पैटर्न पर भी असर पड़ सकता है.


