दिल्ली मेट्रो के सामने 25 साल की लड़की ने की आत्महत्या, गोल्फ कोर्स स्टेशन पर मचा हड़कंप, जांच में जुटी पुलिस
दिल्ली एनसीआर के गोल्फ कोर्स मेट्रो स्टेशन पर एक 25 साल की लड़की ने मेट्रो ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली. पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. आत्महत्या की वजह अभी पता नहीं चल पाई है, लेकिन जांच जारी है.

दिल्ली एनसीआर से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है. गौतमबुद्ध नगर जिले के गोल्फ कोर्स मेट्रो स्टेशन पर एक 25 वर्षीय युवती ने मेट्रो ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली. घटना के बाद स्टेशन पर अफरातफरी मच गई और मौके पर मौजूद लोग स्तब्ध रह गए.
पुलिस ने जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है. डीसीपी राम बदन सिंह ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि युवती की पहचान की जा रही है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.
गोल्फ कोर्स मेट्रो स्टेशन पर हुई दर्दनाक घटना
गौतमबुद्ध नगर के डीसीपी राम बदन सिंह ने कहा, "कुछ देर पहले हमें सूचना मिली कि गोल्फ कोर्स मेट्रो स्टेशन पर एक 25 वर्षीय युवती ने मेट्रो के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली है. पुलिस मौके पर पहुंची. शव को पंचायतनामा के लिए भेजा गया है. आगे की जांच की जा रही है." फिलहाल आत्महत्या की वजह साफ नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है.
दिल्ली मेट्रो में आत्महत्या की घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली मेट्रो आत्महत्या की जगह बनी हो. इससे पहले भी कई बार युवक-युवतियां अपनी जान मेट्रो के सामने कूदकर दे चुके हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, सार्वजनिक स्थानों पर आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबाव की ओर इशारा करती हैं.
इससे पहले भी दिल्ली में सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
कुछ समय पहले कैलाश नगर निवासी ललित मोहन वार्ष्णेय नामक युवक ने कर्ज के दबाव में आकर आत्महत्या कर ली थी. वह मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाता था और उसने वीडियो बनाकर सुसाइड नोट छोड़ा था. डियर पार्क में एक प्रेमी जोड़े के शव पेड़ से लटके मिले थे, जिससे यह आत्महत्या का मामला माना गया था. दिल्ली एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग में कार्यरत 34 वर्षीय डॉक्टर राज घोनिया ने भी आत्महत्या कर ली थी.
आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं
देशभर में आत्महत्या के मामलों में हो रही बढ़ोतरी बेहद गंभीर और चिंताजनक है. युवा वर्ग, बच्चे और यहां तक कि उच्च शिक्षित वर्ग भी मानसिक तनाव और अवसाद की गिरफ्त में आकर ऐसा कदम उठा रहे हैं. यह समय है जब सरकार और समाज को मिलकर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए. स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों में काउंसलिंग और हेल्पलाइन सेवाओं की व्यवस्था अनिवार्य होनी चाहिए.