score Card

आरक्षण ट्रेन का डिब्बा बन गया है...सुप्रीम कोर्ट के जज सूर्यकांत का बड़ा बयान

भारत में जातिगत आरक्षण को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश सूर्यकांत ने आरक्षण व्यवस्था की तुलना ट्रेन के डिब्बे से करते हुए कहा कि जो लोग इसमें चढ़ जाते हैं, वे दूसरों को अंदर नहीं आने देना चाहते. यह टिप्पणी महाराष्ट्र में OBC आरक्षण से जुड़े स्थानीय निकाय चुनावों की सुनवाई के दौरान आई.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

भारत में जातिगत आरक्षण को लेकर हमेशा बहस होती रहती है. इस बीच अब सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज की टिप्पणी ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आरक्षण व्यवस्था की तुलना ट्रेन के डिब्बे से करते हुए कहा कि जो लोग एक बार इस डिब्बे में चढ़ जाते हैं, वे चाहते हैं कि और कोई इसमें प्रवेश न कर सके.

यह टिप्पणी महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में OBC आरक्षण को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान आई, जिसमें जज ने आरक्षण की समावेशिता और उसके सामाजिक उद्देश्य पर सवाल उठाए. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित नए वर्गों की पहचान करे.

महाराष्ट्र निकाय चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट की नजर

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव आखिरी बार 2016-2017 में कराए गए थे. उसके बाद से OBC आरक्षण को लेकर कानूनी लड़ाई जारी है, जिसके कारण चुनाव प्रक्रिया में देरी हुई है. साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाया गया 27% ओबीसी आरक्षण वाला अध्यादेश रद्द कर दिया था.

कोर्ट का तीन-स्तरीय परीक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की वैधता सुनिश्चित करने के लिए तीन स्तरीय टेस्ट निर्धारित किया है:

1. राज्य में पिछड़ेपन की समकालीन और कठोर जांच के लिए एक समर्पित आयोग का गठन.

2. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का अनुपात तय किया जाना.

3. एससी, एसटी और ओबीसी का कुल आरक्षण 50% की सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए.

इन शर्तों के चलते डेटा संग्रहण और कानूनी प्रक्रिया में देरी हुई, जिससे निकाय चुनावों पर असर पड़ा.

याचिकाकर्ताओं की दलीलें

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट में कहा कि परिसीमन प्रक्रिया के दौरान OBC की पहचान की गई थी, लेकिन चुनाव में उसे नज़रअंदाज़ किया जा रहा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार कुछ चुनिंदा अधिकारियों के ज़रिए निकायों को नियंत्रित कर रही है.

वहीं वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि केवल OBC श्रेणी में शामिल करना काफी नहीं है, बल्कि उसके भीतर राजनीतिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों की भी पहचान की जानी चाहिए.

'ट्रेन के डिब्बे' वाली टिप्पणी क्यों बनी चर्चा का विषय

इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, देश में आरक्षण ट्रेन के डिब्बों की तरह हो गया है. जो लोग इसमें चढ़ गए हैं, वे दूसरों को अंदर नहीं आने देना चाहते. यह समावेशिता का सिद्धांत है. सरकारें अधिक वर्गों की पहचान करने के लिए बाध्य हैं. राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित लोग हैं. उन्हें (आरक्षण का) लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए? केवल कुछ परिवारों और समूहों को ही इसका लाभ मिल रहा है."

यह बयान आरक्षण व्यवस्था की गहराई से समीक्षा का संकेत देता है और इस बहस को नए स्तर पर ले जाता है कि क्या आरक्षण का लाभ वास्तव में जरूरतमंदों तक पहुंच रहा है या नहीं.

calender
06 May 2025, 04:54 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag