पहले बेरहमी से पीटा, फिर डायन कहकर जलाया जिंदा...बिहार के पूर्णिया में खौफनाक वारदात
बिहार के पूर्णिया जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार किया है, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. टेटगामा गांव में अंधविश्वास के नाम पर पांच लोगों को ‘डायन’ बताकर पहले बंधक बनाया गया, बेरहमी से पीटा गया और फिर जिंदा जला दिया गया.

बिहार के पूर्णिया जिले में दिल दहला देने वाली वारदात ने कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. टेटगामा गांव में अंधविश्वास और क्रूरता की हद पार करते हुए पांच लोगों को ‘डायन’ बताकर जिंदा जला दिया गया. यह सब कुछ सात घंटे तक चलता रहा, और हैरानी की बात यह है कि घटना स्थल महज़ दो किलोमीटर दूर मुफस्सिल थाना था फिर भी पुलिस को भनक तक नहीं लगी.
घटना के बाद जब एक जीवित बचा किशोर सोनू सुबह पुलिस के पास पहुंचा, तब जाकर प्रशासन हरकत में आया. शवों को बोरे में भरकर ट्रैक्टर से चार किलोमीटर दूर फेंक दिया गया था. इस अमानवीय घटना को लेकर पूर्णिया एसपी स्वीटी सहरावत ने थाना प्रभारी उत्तम कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
अंधविश्वास बना मौत का कारण
घटना 6 जुलाई की रात करीब 10 बजे शुरू हुई, जब डायन के आरोप में कुछ गुटों ने मिलकर टेटगामा गांव में पांच लोगों को पहले बंधक बनाया, फिर बेरहमी से पीटा और बाद में जिंदा जला दिया.
ग्रामीणों ने इन पांचों को घर से बाहर निकालकर पास ही एक स्थान पर ले जाकर जलाया. यह सब एक साजिश के तहत हुआ, जिसमें कई ग्रामीण शामिल थे.
सात घंटे तक चलता रहा तांडव
घटना की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि यह पूरा हत्याकांड लगातार सात घंटे तक चलता रहा, लेकिन थाना महज़ दो किलोमीटर दूर होते हुए भी पुलिस को कुछ पता नहीं चला. गांव में बैठकें हुईं, भीड़ जुटी, हत्या की गई और शव हटाए गए – लेकिन स्थानीय थाना ‘अनजान’ बना रहा.
शवों को बोरे में भर ट्रैक्टर से फेंका
हत्या के बाद ग्रामीणों ने शवों को बोरे में भरकर ट्रैक्टर पर लादा और उन्हें गांव से करीब चार किलोमीटर दूर ले जाकर फेंक दिया. सुबह 7 जुलाई को बचे हुए एकमात्र किशोर सोनू ने पुलिस को पूरी जानकारी दी, जिसके बाद घटनास्थल से शवों की तलाश शुरू की गई.
एसपी ने मानी लापरवाही
घटना की गंभीरता को देखते हुए पूर्णिया एसपी स्वीटी सहरावत ने जांच के बाद मुफस्सिल थाना प्रभारी उत्तम कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. उन्होंने माना कि इतनी बड़ी घटना पर भी समय रहते सूचना न मिल पाना गंभीर लापरवाही है और इससे पुलिस व्यवस्था की कमजोरियां उजागर होती हैं.


