score Card

स्टेज-2 लिवर कैंसर से जूझ रहीं दीपिका कक्कड़, जानें युवा महिलाओं के लिए क्या हैं रिस्क फैक्टर्स?

Dipika Kakar liver cancer: टीवी अभिनेत्री दीपिका कक्कड़ ने हाल ही में खुलासा किया है कि वह स्टेज-2 लिवर कैंसर से जूझ रही हैं. इंस्टाग्राम पर साझा किए गए एक भावुक पोस्ट में उन्होंने बताया कि तेज पेट दर्द के बाद जांच में उनके लिवर में टेनिस बॉल के आकार का ट्यूमर मिला, जो कैंसरस निकला. आइए जानते हैं युवा महिलाओं में इसके रिस्क फैक्टर्स.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Dipika Kakar liver cancer: टीवी इंडस्ट्री की मशहूर अभिनेत्री दीपिका कक्कड़ ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए एक भावुक खुलासा किया कि वह स्टेज-2 लिवर कैंसर से जूझ रही हैं. इस खबर ने न केवल उनके फैंस को झकझोर कर रख दिया, बल्कि लोगों को लिवर कैंसर को लेकर जागरूक होने का एक मौका भी दिया है. दीपिका और उनके पति, अभिनेता शोएब इब्राहिम, इस मुश्किल समय में अपनी मेडिकल जर्नी को सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं.

सब कुछ तब शुरू हुआ जब दीपिका को तेज़ पेट दर्द हुआ और जांच के बाद डॉक्टरों ने उनके लिवर में टेनिस बॉल के आकार का ट्यूमर पाया. बाद में यह ट्यूमर कैंसरस निकला. जानिए क्या होता है स्टेज-2 लिवर कैंसर, यह कितना गंभीर होता है और युवा महिलाओं को किन कारणों से इसका ज़्यादा खतरा होता है.

स्टेज-2 लिवर कैंसर कितना गंभीर होता है?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्टेज-2 लिवर कैंसर में या तो एक बड़ा ट्यूमर (2 सेमी से अधिक) रक्त वाहिकाओं में फैल चुका होता है या लिवर में एक से अधिक ट्यूमर होते हैं जिनका आकार 5 सेमी से कम होता है. अच्छी खबर यह है कि इस स्टेज पर कैंसर लिम्फ नोड्स या शरीर के अन्य हिस्सों तक नहीं फैला होता. अगर समय रहते सर्जरी की जाए तो इलाज की संभावना काफी अधिक होती है.

सर्जरी के बाद कैंसर के दोबारा लौटने या शरीर में फैलने के खतरे को रोकने के लिए जरूरी है कि हटाए गए ट्यूमर की जेनेटिक जांच की जाए. इससे यह पता लगाया जा सकता है कि कैंसर कैसे व्यवहार करता है, इलाज के प्रति कैसी प्रतिक्रिया देता है और इसके दोबारा लौटने की संभावना कितनी है. इसके आधार पर डॉक्टर मल्टीमोडल ट्रीटमेंट प्लान तय करते हैं जिसमें टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन शामिल हो सकते हैं.

नई ब्लड टेस्ट टेक्नोलॉजी की मदद से यह भी पता लगाया जा सकता है कि कैंसर ब्लडस्ट्रीम के जरिए फैलने की स्थिति में है या नहीं, जिससे समय रहते कदम उठाए जा सकें.

युवा महिलाओं में क्यों बढ़ रहे हैं लिवर कैंसर के मामले?

आज के समय में युवा महिलाओं में लिवर कैंसर के मामले पहले की तुलना में अधिक देखने को मिल रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण है नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) का बढ़ना. यह बीमारी मोटापे, गलत खान-पान और बैठे रहने की जीवनशैली से जुड़ी होती है. चूंकि लिवर लंबे समय तक बिना लक्षणों के काम करता रहता है, इसलिए यह बीमारी तब तक पता नहीं चलती जब तक लिवर में गंभीर डैमेज न हो जाए.

लक्षणों को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

लिवर कैंसर के शुरुआती लक्षण जैसे थकान, पेट में हल्का दर्द या वजन में बदलाव अक्सर मामूली समझकर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं. खासकर युवा महिलाओं में इन लक्षणों को अक्सर पीरियड्स या हार्मोनल बदलावों से जोड़ दिया जाता है, जिससे बीमारी का पता देर से चलता है.

हार्मोनल और जेनेटिक फैक्टर भी जिम्मेदार

लंबे समय तक बर्थ कंट्रोल पिल्स का इस्तेमाल भी लिवर में हेपेटिक एडेनोमा नामक सौम्य ट्यूमर का कारण बन सकता है, जो कभी-कभी बड़ा हो सकता है या कैंसरस रूप ले सकता है. इसके अलावा, ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस जैसी लिवर संबंधी बीमारियां जो महिलाओं में ज़्यादा पाई जाती हैं, लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाकर कैंसर का कारण बन सकती हैं.

कुछ मामलों में युवावस्था में अनजाने में हुआ हेपेटाइटिस B या C का संक्रमण भी वर्षों तक लक्षणहीन रहकर लिवर को नुकसान पहुंचाता है और बाद में कैंसर की वजह बन सकता है.

पर्यावरणीय और जीवनशैली संबंधी खतरे

ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें अफ्लाटॉक्सिन (फफूंद से निकलने वाला ज़हर) पाया जाता है, या कुछ हर्बल सप्लिमेंट्स का अनियंत्रित इस्तेमाल भी लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में सतर्क रहना बेहद जरूरी है.

कैसे रखें लिवर का ख्याल?

यदि आपको फैटी लिवर, मोटापा, डायबिटीज, हेपेटाइटिस B या C जैसी समस्याएं हैं या परिवार में किसी को लिवर कैंसर रहा है, तो हर 6 से 12 महीने में लिवर फंक्शन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और फाइब्रोस्कैन करवाना चाहिए. यह जांचें यह सुनिश्चित करती हैं कि आपकी लिवर हेल्थ सामान्य है या नहीं.

Disclaimer: ये आर्टिकल मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता है.

calender
28 May 2025, 03:40 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag