स्टाइल में दिखावा, कंटेंट में खालीपन... ‘फ्लॉप हुई ‘Jewel Thief’, अधूरी कहानी ने लोगों को किया निराश
नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई सैफ अली खान और जयदीप अहलावत स्टारर फिल्म ‘Jewel Thief: The Heist Begins’ दर्शकों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई. हीस्ट थ्रिलर के नाम पर ये फिल्म न रोमांच पैदा कर पाई, न ही कोई ठोस कहानी पेश कर सकी.

नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई सैफ अली खान और जयदीप अहलावत स्टारर फिल्म 'Jewel Thief: The Heist Begins' एक ऐसी हीराफेरी है जिसमें हीरा तो चुराया नहीं गया, उल्टा दर्शकों का वक्त और सब्र ज़रूर लूट लिया गया। सिद्धार्थ आनंद द्वारा प्रजेंट की गई ये फिल्म न तो एक बेहतर हीस्ट ड्रामा बन पाई और न ही दर्शकों को कोई नया अनुभव दे पाई. ‘Jewel Thief’ को देखकर लगता है जैसे यह एक अधपकी स्क्रिप्ट को ज़बरदस्ती परोस दिया गया हो.
कागजों पर फिल्म की कहानी बड़ी और इंटरनेशनल लगती है - हीरा चोरी, पुलिस की चेज़, ग्लैमरस स्टारकास्ट और विदेशी लोकेशन. लेकिन असल में यह फिल्म एक ऐसी थकी हुई रेस लगती है जिसमें कोई जीतने के लिए भाग ही नहीं रहा.
कहानी जो खुद ही लूट का शिकार हो गई
फिल्म की कहानी एक गैंगस्टर और बिजनेसमैन राजन (जयदीप अहलावत) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो दुनिया के सबसे कीमती हीरों में से एक 'द रेड सन' को चुरवाना चाहता है. इसके लिए वह एक कॉन-आर्टिस्ट और चोर रेहान रॉय (सैफ अली खान) को हायर करता है, और रेहान के पिता को बंधक बनाकर उसे अपने इशारों पर नचाता है. दूसरी तरफ है पुलिस ऑफिसर विक्रम पटेल (कुणाल कपूर) जो वर्षों से रेहान को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। फिल्म में निकिता दत्ता भी एक मजबूर पत्नी फरा के रोल में नज़र आती हैं.
थ्रिलर की रेस में सबसे धीमी फिल्म
हीस्ट थ्रिलर की सफलता की कुंजी होती है तेज़ रफ्तार, अप्रत्याशित मोड़ और दिमागी खेल। लेकिन ‘Jewel Thief’ में ये तीनों ही गायब हैं। फिल्म का ट्रीटमेंट इतना थका हुआ है कि लगता है जैसे इसे सालों पहले बनाया गया और फिर धूल झाड़कर ओटीटी पर फेंक दिया गया हो। फिल्म का रोमांच कहीं खोया हुआ है और क्लाइमैक्स तक पहुंचते-पहुंचते दर्शक खुद फिल्म से भागने की सोचने लगते हैं.
सैफ और जयदीप की मेहनत
सैफ अली खान हमेशा की तरह स्टाइलिश और स्वैग से भरपूर नज़र आते हैं, जबकि जयदीप अहलावत अपने किरदार में जान फूंकते हैं. लेकिन जब स्क्रिप्ट ही खोखली हो, तो एक्टिंग भी ज़्यादा देर तक फिल्म को संभाल नहीं सकती. कास्टिंग बढ़िया है, पर फिल्म की आत्मा यानी कहानी पूरी तरह फेल हो जाती है.
कहानी में इमोशन की कमी
सैफ और निकिता की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री एकदम बेजान लगती है। यहां तक कि फिल्म में डाला गया लिप किस सीन भी इतना असहज और जबरदस्ती का लगता है कि दर्शक मुंह फेर लेते हैं. फिल्म में ना रोमांस की गहराई है, ना थ्रिल का मजा और ना ही कोई दमदार संवाद.
तकनीकी तौर पर भी अधूरी फिल्म
फिल्म की शूटिंग हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में की गई है, जिससे एक इंटरनेशनल फील लाने की कोशिश की गई है. लेकिन सिर्फ विदेशी लोकेशन दिखाने से फिल्म ग्रैंड नहीं बनती. डायलॉग्स इतने सुस्त हैं कि कहीं-कहीं पर तो फिल्म में मौजूद कैज़ुअल रेसिज्म भी खलता है.
एक ऐसी फ्लाइट जो टेक ऑफ नहीं कर पाई
सिद्धार्थ आनंद की फिल्में जैसे ‘फाइटर’, ‘पठान’, ‘वॉर’ और ‘बैंग बैंग’ भले ही एक्शन और स्टाइल के लिए जानी जाती हैं, लेकिन ‘Jewel Thief’ इस लिस्ट में सबसे कमजोर फिल्म साबित होती है. ऐसा लगता है जैसे फिल्म बनाते-बनाते ही टीम ने हार मान ली और किसी तरह इसे खत्म कर दिया गया.


