समय रैना की मुश्किलें बढ़ीं, SMA पीड़ित शिशु और दृष्टिहीन व्यक्ति पर चुटकुलों को बताया 'चिंताजनक'
समय रैना पहले ही अपने सहयोगी कॉमेडियन रणवीर अल्लाहबादिया के स्टैंड-अप शो 'इंडियाज गॉट लैटेंट' में माता-पिता और यौन विषयों पर की गई टिप्पणियों को लेकर विवादों में घिरे हुए हैं, अब उन्हें इस नए मामले में भी न्यायालय की कार्यवाही में एक पक्षकार बनाया गया है.

कॉमेडियन समय रैना अपने स्टैंड-अप शो में किए गए विवादास्पद चुटकुलों को लेकर कानूनी मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं. रैना ने अपने एक प्रदर्शन में स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) से पीड़ित दो महीने के एक बच्चे और दृष्टिहीन व्यक्ति पर जोक किए, जिन्हें लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इन बातों से वह “वास्तव में परेशान” है.
ज़ोलगेन्स्मा नामक दवा का ज़िक्र
यह मामला क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा दाखिल एक आवेदन के बाद सामने आया, जिसमें SMA जैसी दुर्लभ बीमारी के इलाज की महंगी दवाओं पर भी अदालत का ध्यान आकर्षित किया गया. आवेदन में ज़ोलगेन्स्मा नामक दवा का ज़िक्र किया गया, जिसकी कीमत लगभग ₹16 करोड़ है और जो अक्सर भीड़ के सहयोग या चंदे से जुटाई जाती है.
बच्चों के इलाज की लागत पर मजाक
समय रैना पर आरोप है कि उन्होंने इस दवा और बच्चों के इलाज की लागत पर मजाक किया. उन्होंने मंच से कहा कि दो महीने के बच्चे को ₹16 करोड़ का इंजेक्शन चाहिए. सोचिए, अगर किसी मां को इतने पैसे मिल जाएं, तो क्या वह पति की ओर देख कर नहीं कहेगी, महंगाई बढ़ रही है. इस तरह के चुटकुले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले माने गए हैं. रैना पर यह भी आरोप है कि उन्होंने एक दृष्टिहीन व्यक्ति से मजाक करते हुए कहा कि भाई, आपकी किस आंख में देखूं? और दूसरे से कहा कि आप भगवान की आंखों में देखें.
केंद्र सरकार एक नियामक ढांचा
याचिकाकर्ता संस्था ने मांग की है कि केंद्र सरकार एक नियामक ढांचा बनाए, ताकि विकलांगता और गंभीर बीमारियों से जुड़ी संवेदनहीन और अपमानजनक ऑनलाइन सामग्री पर रोक लग सके. उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि सार्वजनिक मंचों पर संवेदनशील विषयों को हल्के में लेना बंद हो और समाज में करुणा एवं सम्मान की भावना को बढ़ावा मिले.


