'124 नॉट आउट', बिहार की मिंता देवी की फोटो वाली टीशर्ट पहनकर संसद क्यों पहुंची प्रियंका गांधी?
संसद में विपक्ष ने मिंता देवी की उम्र 124 साल बताकर चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया के खिलाफ प्रदर्शन किया. बाद में पता चला कि असल में उनकी उम्र 35 वर्ष है और यह सिर्फ एक तकनीकी गलती थी. विपक्ष का आरोप है कि राज्यभर में मतदाता सूची में इसी तरह की कई गलतियां हो रही हैं.

संसद भवन परिसर में मंगलवार को उस समय अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब कई विपक्षी सांसदों ने विशेष टी-शर्ट पहनकर चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन किया. इन टी-शर्ट्स पर एक महिला की तस्वीर थी और नाम लिखा था – 'मिंता देवी', जबकि पीछे की ओर ‘124 नॉट आउट’ छपा हुआ था. यह विरोध बिहार में मतदाता सूची में हुई त्रुटियों और SIR को लेकर था.
'124 वर्षीय' पहली बार की मतदाता?
विपक्षी नेताओं का दावा था कि बिहार की मतदाता सूची में एक महिला मिंता देवी को पहली बार मतदान करने वाला बताया गया है, जिनकी उम्र 124 साल है. इस आधार पर उन्होंने मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी का आरोप लगाया और चुनाव आयोग से विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की.
राहुल और प्रियंका गांधी का तीखा हमला
जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की गिनती नहीं की जा सकती, अभी तो तस्वीर अधूरी है. वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया कि कई ऐसे उदाहरण हैं जहां मतदाताओं के नाम, पते और रिश्तेदारों की जानकारी फर्जी पाई गई है. उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे का संकेत है.
क्या है हकीकत?
हालांकि, बाद में यह सामने आया कि जिस मिंता देवी को 124 वर्ष की बताया जा रहा है, उनकी वास्तविक उम्र 35 वर्ष है. वे बिहार के सीवान जिले की दरौंदा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता हैं. एक स्थानीय निर्वाचन अधिकारी ने स्पष्ट किया कि उनके आवेदन में तकनीकी गलती के चलते उम्र को गलत तरीके से दर्ज कर लिया गया. उन्होंने यह भी बताया कि त्रुटि को सुधारने की प्रक्रिया पहले से ही शुरू हो चुकी है.
विपक्ष बनाम चुनाव आयोग
इस पूरे मामले को लेकर विपक्ष का आरोप है कि यह isolated मामला नहीं है, बल्कि पूरे राज्य में ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं. उनका कहना है कि SIR प्रक्रिया के नाम पर मतदाता सूची में मनमानी हो रही है, जिससे निष्पक्ष चुनाव कराने की प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है.


