'संवेदनशीलताओं पर आधारित हैं संबंध', पाकिस्तान का समर्थन करने पर भारत ने तुर्की को दिखाया आईना
भारत ने तुर्की को सख्त संदेश देते हुए कहा कि वह पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन देने से रोके. विदेश मंत्रालय ने कहा कि तुर्की को सीमापार आतंकवाद और आतंकी नेटवर्क पर पाकिस्तान से विश्वसनीय कार्रवाई करवानी चाहिए. भारत-तुर्की संबंध तभी आगे बढ़ सकते हैं जब तुर्की भारत की सुरक्षा चिंताओं को समझे. जम्मू-कश्मीर हमले के बाद तुर्की के झुकाव से भारत नाराज है और उसने वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की मांग दोहराई है.

भारत सरकार ने हाल ही में तुर्की को स्पष्ट और सख्त शब्दों में चेतावनी दी है कि वह पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन देने से रोके. नई दिल्ली ने कहा कि उसे उम्मीद है कि अंकारा इस्लामाबाद को सीमापार आतंकवाद के खिलाफ जिम्मेदारी और प्रभावी कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
सीमा पार आतंकवाद पर भारत का रुख
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि भारत और तुर्की के संबंध आपसी सम्मान और एक-दूसरे की संवेदनाओं की समझ पर आधारित होने चाहिए. उन्होंने कहा, "हम तुर्की से अपेक्षा करते हैं कि वह पाकिस्तान से आतंकवाद के समर्थन को समाप्त करने और वर्षों से चल रहे आतंकी नेटवर्क के खिलाफ विश्वसनीय और सत्यापन योग्य कदम उठाने के लिए कहे." भारत का यह बयान उस समय आया है जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तुर्की ने पाकिस्तान का पक्ष लिया, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई है.
पाकिस्तान को आतंकी ठिकानों के लिए जिम्मेदार ठहराया
भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने दशकों से आतंकवाद को राज्य नीति का हिस्सा बना लिया है और उसका समर्थन करता रहा है. रावलपिंडी और इस्लामाबाद की सरकारों पर आतंकियों को शरण देने, ट्रेनिंग देने और सीमापार भारत में हमले करवाने के गंभीर आरोप हैं. इस संदर्भ में तुर्की की भूमिका पर भी भारत ने सवाल खड़े किए हैं. भारत ने साफ कहा है कि यदि तुर्की भारत के साथ रचनात्मक और परिपक्व संबंध चाहता है, तो उसे भारत की सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेना होगा.
तुर्की का पाकिस्तान को समर्थन
पिछले कुछ वर्षों में तुर्की ने पाकिस्तान के प्रति अपने रुख को और भी समर्थनकारी बनाया है, चाहे वह कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में बयान देना हो या फिर इस्लामाबाद के पक्ष में कूटनीतिक संकेत देना. इससे भारत-तुर्की संबंधों में तनाव बढ़ा है. भारत ने कई बार तुर्की को चेताया है कि वह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करे और आतंकवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संतुलित रुख अपनाए.
आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक रुख की मांग
भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मांग करता रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ विश्व एकजुट हो और दोहरे मानदंडों को समाप्त करे. भारत का मानना है कि आतंकवाद को किसी भी रूप में सहन नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी देश से उत्पन्न हो.
भारत ने यह भी दोहराया कि यदि तुर्की अपने रणनीतिक साझेदार के रूप में भारत के साथ संबंधों को और मज़बूत करना चाहता है, तो उसे पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि आतंकवाद को प्रोत्साहित करने वाली गतिविधियाँ स्वीकार्य नहीं हैं.


