'दाल में कुछ काला है', उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर नहीं थम रहीं विपक्ष की अटकलें...आखिर क्या है पूरा माजरा?
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दिया, जिसकी वजह स्वास्थ्य बताई गई लेकिन विपक्ष ने इसे राजनीति से जोड़ा. भाजपा और विपक्ष के बीच महाभियोग प्रस्ताव को लेकर तनाव बढ़ा. प्रधानमंत्री के ट्वीट ने विवाद को हवा दी. कांग्रेस और सपा ने इस्तीफे की सच्चाई जानने की मांग की, और ‘दाल में कुछ काला है’ का आरोप लगाया.

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया, जिससे देश की राजनीति में हलचल मच गई है. उनके इस कदम के पीछे छिपी सच्चाई को लेकर अटकलें तेज हैं और विपक्ष लगातार सरकार से स्पष्ट जवाब मांग रहा है. इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य बताई गई, लेकिन विपक्ष ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं और इसे राजनीति से जोड़ा जा रहा है.
विपक्ष का सरकार पर सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा अचानक और बिना किसी पूर्व सूचना के आया है. उन्होंने कहा, “उनका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है. यह कदम राजनीति से प्रेरित लगता है. सरकार को बताना चाहिए कि आखिर उनके इस्तीफे के पीछे क्या है.” खड़गे ने संकेत दिया कि इस मामले में कुछ गड़बड़ है जिसे देश को जानना जरूरी है.
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा कि धनखड़ का स्वास्थ्य ठीक है और वे बिल्कुल स्वस्थ हैं. ऐसे में स्वास्थ्य संबंधी कारणों पर शक किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री के ट्वीट ने बढ़ाई विवाद की आग
धनखड़ के इस्तीफे के लगभग 15 घंटे बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक संक्षिप्त ट्वीट किया, जिसने विवादों को और हवा दे दी. कांग्रेस के उपनेता लोकसभा में गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह ट्वीट “इस्तीफे की राजनीतिक प्रकृति” को दर्शाता है. उन्होंने कहा, “संवैधानिक पद की गरिमा बनी रहनी चाहिए, लेकिन इस ट्वीट से साफ है कि इस्तीफा राजनीतिक मुद्दा बन गया है.”
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इसे स्वास्थ्य कारण से जोड़ना सही नहीं माना. उन्होंने कहा कि यदि सच में स्वास्थ्य कारण थे तो भाजपा के किसी भी बड़े नेता ने उनसे मिलने का प्रयास क्यों नहीं किया. यादव ने कहा, “यह साफ दिखाता है कि इस मामले में ‘दाल में कुछ काला है.’”
महाभियोग प्रस्ताव पर धनखड़ और सरकार के बीच तनाव
विश्लेषकों का मानना है कि धनखड़ के इस्तीफे के पीछे सबसे बड़ा कारण न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष द्वारा राज्यसभा में लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करना है. यह प्रस्ताव भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा था और सरकार इसे लोकसभा में खारिज करना चाहती थी.
धनखड़ के इस कदम से सरकार की रणनीति पर ग्रहण लग गया क्योंकि वे इस मुद्दे पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती थी. उपराष्ट्रपति द्वारा विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार करने ने भाजपा की योजना को कमजोर कर दिया, जिससे पार्टी अंदर से नाराज़ नजर आ रही है.


