'भारत-पाक में जंग न हो...', पहलगाम हमले के बाद तनाव के बीच मौलाना मदनी ने की शांति की अपील
जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतंकवाद, भारत-पाक युद्ध और सिंधु जल विवाद पर अपनी राय रखी. उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और आतंकियों के घर गिराने को जायज़ ठहराया. उन्होंने युद्ध के खिलाफ चेतावनी दी कि इससे आर्थिक नुकसान होगा. सिंधु जल विवाद पर उन्होंने नदियों को रोकना अव्यावहारिक बताया और आपसी सहयोग की वकालत की. उन्होंने पाकिस्तान से कोई संबंध होने से इनकार करते हुए शांति और संवाद की अपील की.

जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान देश और पड़ोसी देशों से जुड़े विभिन्न संवेदनशील मुद्दों पर अपनी बात बेबाकी से रखी. उन्होंने आतंकवाद, कश्मीर की स्थिति, भारत-पाक युद्ध और सिंधु जल संधि जैसे विषयों पर पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए.
इस्लामी मूल्यों की बात
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर बोलते हुए मौलाना मदनी ने स्पष्ट कहा कि इस्लाम ऐसी किसी भी हिंसा की इजाज़त नहीं देता. उन्होंने आतंक को जाहिलों की हरकत बताया और कहा कि जो लोग इस्लामी शिक्षाओं को नहीं मानते, वे धर्म को बदनाम कर रहे हैं. उन्होंने दो टूक कहा, "इस्लाम किसी की हत्या की इजाजत नहीं देता, और अगर कोई यह करता है तो वह इस्लाम के सिद्धांतों के विरुद्ध है."
आतंकियों के घर ढहाने को बताया सही कदम
जब उनसे कश्मीर में आतंकियों के घर तोड़े जाने के विषय में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यदि संबंधित व्यक्ति आतंकवादी सिद्ध हो चुका है और उसका घर गिराया गया है, तो यह कदम सही है. उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया के आधार पर ऐसे कदमों की वैधता को स्वीकार किया और हिंसा के खिलाफ सख्त कार्रवाई को जरूरी बताया.
भारत-पाक युद्ध से जताई चिंता
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पर मौलाना मदनी ने युद्ध की संभावना को लेकर गहरी चिंता जताई. उन्होंने स्पष्ट कहा, "मैं हर प्रकार की जंग का विरोध करता हूं. पहले भी कई युद्ध हो चुके हैं, लेकिन किसी का स्थायी समाधान नहीं निकला." उन्होंने चेतावनी दी कि युद्ध से दोनों देशों को भारी नुकसान हो सकता है और भारत की आर्थिक स्थिति पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
नदियां बांधना आसान नहीं
सिंधु जल समझौते और भारत द्वारा पाकिस्तान का पानी रोके जाने की बात पर उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि नदियों को रोकना आसान नहीं है. उन्होंने कहा, “हजारों वर्षों से ये नदियां बहती आई हैं – सतलज, रावी, चेनाब, व्यास और झेलम. क्या इतना आसान है इनका प्रवाह रोक देना?” उन्होंने जोर देकर कहा कि देशों के बीच प्यार और सहयोग होना चाहिए, न कि नफरत और बदले की राजनीति.
संवाद और शांति की अपील
मौलाना मदनी ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है और न ही वे वहां जाते हैं. उन्होंने आतंकवाद और युद्ध की निंदा करते हुए यह अपील की कि भारत को शांति, आपसी संवाद और सहयोग की राह पर चलना चाहिए. उनका मानना है कि केवल इसी रास्ते से दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और विकास संभव है.


