26/11 हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा की न्यायिक हिरासत बढ़ी, NIA ने दायर की पूरक चार्जशीट
26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दिल्ली की एक विशेष अदालत ने उसकी न्यायिक हिरासत 13 अगस्त तक बढ़ा दी है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसके खिलाफ एक पूरक चार्जशीट भी दाखिल की है, जिस पर अगली सुनवाई अब अगस्त में होगी.

Tahawwur Rana: दिल्ली की एक विशेष अदालत ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा की न्यायिक हिरासत को 13 अगस्त तक बढ़ा दिया है. उसे अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद भारत लाया गया था और वर्तमान में वह जेल में बंद है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस केस में तहव्वुर राणा के खिलाफ एक पूरक आरोपपत्र (Supplementary Chargesheet) भी दाखिल किया है.
NIA ने अदालत के समक्ष राणा को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया, जिसके बाद विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने उसकी न्यायिक हिरासत बढ़ाने का आदेश पारित किया. अदालत अब 13 अगस्त को पूरक चार्जशीट पर विचार करेगी.
तहव्वुर राणा की हिरासत बढ़ी
NIA ने 26/11 हमले के सिलसिले में तहव्वुर राणा के खिलाफ अपनी जांच आगे बढ़ाते हुए पूरक चार्जशीट दायर की है. इस चार्जशीट में नए सबूतों और राणा की भूमिका को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई है. अदालत ने इस चार्जशीट को स्वीकार करने पर विचार के लिए अगली सुनवाई की तारीख 13 अगस्त तय की है.
परिवार से बात करने की मांग
तहव्वुर राणा ने अदालत में एक अर्जी भी दाखिल की है जिसमें उसने अपने परिवार से टेलीफोन पर बात करने की अनुमति मांगी है. इस पर अदालत 15 जुलाई को सुनवाई करेगी.
कौन है तहव्वुर राणा?
पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा, 26/11 हमले के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है. राणा को अमेरिका से भारत लाने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया चली थी. अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 4 अप्रैल को उसके प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उसे भारत लाया गया.
26/11 मुंबई हमला
26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई में आतंक का तांडव मचाया था. समुद्री रास्ते से भारत में दाखिल हुए आतंकियों ने रेलवे स्टेशन, दो लग्जरी होटल्स और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया था. करीब 60 घंटे तक चले इस हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें कई विदेशी नागरिक भी शामिल थे.
इस हमले में जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकी अजमल आमिर कसाब को मई 2010 में भारत में युद्ध छेड़ने और अन्य आरोपों में दोषी ठहराया गया था. नवंबर 2012 में उसे फांसी दे दी गई थी.


