IB में 30 साल का अनुभव, CRPF और ITBP की कमान संभाली... जानिए कौन हैं अनीश दयाल सिंह जिन्हें सरकार ने बनाया डिप्टी NSA
CRPF के पूर्व महानिदेशक अनीश दयाल सिंह को डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त कर दिया गया है. अब वे जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आंतरिक सुरक्षा मामलों को संभालेंगे. बता दें कि सिंह ने 35 वर्षों से अधिक समय खुफिया, नीति सुधार और अर्धसैनिक नेतृत्व में काम किया है. इसके साथ ही उन्होंने सीआरपीएफ के पुनर्गठन और जवानों के मनोबल बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.

Anish Dayal Singh Deputy NSA : अनीश दयाल सिंह को भारत का उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया है. वे देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों, जैसे जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की जिम्मेदारी संभालेंगे. सिंह के पास 35 वर्षों से अधिक का अनुभव है, जिसमें उन्होंने खुफिया विभाग, अर्धसैनिक बलों का नेतृत्व और सुरक्षा नीतियों में सुधार पर काम किया है.
अधिकांश समय खुफिया ब्यूरो में बिताया
प्रमुख सुधार और जवानों के लिए नीतियां
इसके साथ ही सिंह ने लोकसभा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के दौरान सुरक्षा प्रबंधन सफलतापूर्वक संभाला. उन्होंने CRPF के बटालियन पुनर्गठन की प्रक्रिया को लागू किया, जिससे जवानों को अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताने का अवसर मिला. इसके साथ ही, उन्होंने जवानों के मनोबल को बढ़ाने के लिए पदोन्नति में देरी जैसी समस्याओं का समाधान खोजा और लंबी सेवा देने वाले जवानों के लिए मानद रैंक की नीति केंद्र सरकार से मंजूर कराई.
बढ़ गई अनीश दयाल सिंह की जिम्मेदारी
अब उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में अनीश दयाल सिंह की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है. उनकी विशेषज्ञता से भारत की आंतरिक सुरक्षा में मजबूती आने की उम्मीद है. देश के विभिन्न संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने में उनकी भूमिका अहम रहेगी. सिंह की नियुक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत और अनुभवी नेतृत्व को दर्शाती है.
सुरक्षा रणनीति को नई दिशा मिलने की उम्मीद
अनीश दयाल सिंह का अनुभव, नेतृत्व क्षमता और नीतिगत समझ उन्हें उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद के लिए एक उत्तम विकल्प बनाती है. उनकी नियुक्ति से आंतरिक सुरक्षा रणनीति को नई दिशा मिलने की उम्मीद है, खासकर जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में.


