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इथियोपिया में ज्वालामुखी फटने के बाद अलर्ट, भारत की ओर तेजी से बढ़ रहा धुएं का गुबार; कई उड़ाने प्रभावित

इथियोपिया के हायली गुब्बी ज्वालामुखी में रविवार को अचानक विस्फोट हो गया. यह घटना हजारों सालों में पहली बार हुई है. ज्वालामुखी से निकला राख का गुबार अब धीरे-धीरे भारत की तरफ बढ़ रहा है. इसके असर की संभावना दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में भी है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस राख के गुबार की वजह से हवाई यात्रा पर प्रभाव पड़ सकता है

Anuj Kumar
Edited By: Anuj Kumar

नई दिल्ली: इथियोपिया के हायली गुब्बी ज्वालामुखी में रविवार को अचानक विस्फोट हो गया. यह घटना हजारों सालों में पहली बार हुई है. ज्वालामुखी से निकला राख का गुबार अब धीरे-धीरे भारत की तरफ बढ़ रहा है. इसके असर की संभावना दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में भी है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस राख के गुबार की वजह से हवाई यात्रा पर प्रभाव पड़ सकता है और कुछ फ्लाइट्स में रुकावट आ सकती है.

DGCA ने एडवाइजरी की जारी

इस स्थिति को देखते हुए डीजीसीए (DGCA) ने एयरलाइंस को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि फ्लाइट सुरक्षा के लिए प्रभावित इलाकों और ऊंचाई वाले क्षेत्रों से पूरी तरह दूर रहे. एयरलाइंस को सतर्क रहने और उड़ानों में सावधानी बरतने की हिदायत दी गई है.

भारतीय हवाई क्षेत्र में असर

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, राख का गुबार सोमवार रात तक उत्तर-पश्चिम भारत में प्रवेश कर सकता है. पहले यह गुजरात में पहुंच सकता है और उसके बाद राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर और पंजाब की ओर बढ़ने की संभावना है. अधिकारियों का कहना है कि राख का बादल बढ़ने से भारतीय हवाई क्षेत्र और हवाई जहाजों के संचालन पर असर पड़ना शुरू हो गया है. अगले कुछ घंटों में और भी रुकावटें देखने को मिल सकती हैं.

'राख का असर मुख्य रूप से फ्लाइट्स पर पड़ेगा'

इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) के डायरेक्टर जनरल एम. महापात्रा ने कहा कि राख का असर मुख्य रूप से फ्लाइट्स पर पड़ेगा. यह बादल ऊपरी स्तर पर है, इसलिए सतह पर इसका ज्यादा असर नहीं दिखेगा. हालांकि, आसमान में धुंध और बादलों जैसी स्थिति नजर आएगी. उनका कहना है कि यह बादल धीरे-धीरे पूरब की ओर बढ़ रहा है और अगले कुछ घंटों तक इसका असर रह सकता है.

फ्लाइट्स को रद्द करना शुरू किया

IMD के अनुसार, ज्वालामुखी की राख सल्फर डाइऑक्साइड और छोटे-छोटे चट्टानों के कणों से बनी है और यह सतह से लगभग 10-15 किलोमीटर की ऊंचाई पर है. यही वजह है कि इसका सबसे ज्यादा असर हवाई यातायात पर देखने को मिलेगा. राख का यह बादल लाल सागर से होकर मिडिल ईस्ट और सेंट्रल एशिया की ओर बढ़ रहा है.

एयरलाइंस ने सुरक्षा कारणों से दोपहर के बाद कई फ्लाइट्स को रद्द करना शुरू कर दिया. इनमें से एक फ्लाइट मुंबई से शुरू हुई, जबकि बाकी फ्लाइट्स दक्षिणी हिस्सों से उड़ान भर रही थीं. इस पूरे मामले को देखते हुए यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे फ्लाइट्स की स्थिति की जानकारी लेते रहें और आवश्यक होने पर यात्रा में बदलाव करें.

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24 November 2025, 11:26 PM IST

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