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6.5 लाख रुपये में खरीदी AK-47, अफगानिस्तान मिशन फेल...दिल्ली ब्लास्ट केस में NIA की जांच में चौंकाने वाले खुलासे

दिल्ली ब्लास्ट मामले की NIA जांच में पता चला कि आरोपियों ने कई स्थानों पर एक साथ विस्फोट करने की बड़ी योजना बनाई थी. वे बंदूकों की खरीद, विदेशी हैंडलर्स, तुर्की यात्रा, अफगानिस्तान मिशन और TTP संपर्क जैसे नेटवर्क से जुड़े थे.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली में हुए ब्लास्ट मामले की जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण और चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा किया है. पूछताछ में सामने आया कि आरोपियों ने राजधानी में एक साथ कई स्थानों पर धमाके करने की बड़ी साजिश रची थी. इस षड्यंत्र में न केवल घरेलू मॉड्यूल शामिल थे, बल्कि विदेशी संपर्क और फंडिंग चैनल भी जुड़े हुए दिखाई देते हैं, जिनकी वजह से नेटवर्क और अधिक जटिल हो गया है.

मुजम्मिल ने 6.5 लाख में खरीदी थी AK-47 
आपको बता दें कि जांच एजेंसी के अनुसार, मामले में मुख्य आरोपी मुजम्मिल ने एक AK-47 राइफल लगभग 6.5 लाख रुपये में खरीदी थी. यह हथियार बाद में आदिल के नाम पर लिए गए लॉकर से बरामद हुआ. इस रिकवरी ने जांच की दिशा बदल दी और स्पष्ट संकेत मिले कि आरोपी लंबे समय से हथियारों की खरीद-फरोख्त और आतंकी गतिविधियों में शामिल थे.

कई देशों तक फैला हुआ है नेटवर्क 

NIA द्वारा की गई पूछताछ में पता चला कि मुजम्मिल का हैंडलर मन्सूर था, जबकि उमर हाशिम नाम के व्यक्ति से निर्देश लेता था. इन दोनों की निगरानी एक ऐसे व्यक्ति के पास थी जिसका नाम इब्राहिम बताया जा रहा है. जांच एजेंसी का कहना है कि यह नेटवर्क कई देशों तक फैला हुआ है और इसकी जड़ें बाहर बैठे ऐसे तत्वों तक जाती हैं जो भारत में आतंकी गतिविधियों को संचालित करने की कोशिश कर रहे थे.

2022 में मुजम्मिल, आदिल और मुजफ्फर गए थे तुर्की 
जांच में यह भी सामने आया कि वर्ष 2022 में मुजम्मिल, आदिल और मुज़फ़्फर, ओकासा के निर्देश पर तुर्की गए थे. उनकी यात्रा का उद्देश्य वहां से अफगानिस्तान पहुंचना था, जहां उन्हें आतंकी प्रशिक्षण दिए जाने की संभावना जताई गई थी. हालांकि, तुर्की पहुंचने के लगभग पाँच से छह दिन बाद संपर्क व्यक्ति ने अफगानिस्तान भेजने से इनकार कर दिया, जिसके बाद यह योजना अधूरी रह गई.

ओकासा की भूमिका अत्यंत संदिग्ध
जांच के दौरान ओकासा नामक व्यक्ति की भूमिका अत्यंत संदिग्ध पाई गई. बताया जाता है कि उसका संबंध पाकिस्तान आधारित प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से है. उसके साथ संपर्क Telegram के माध्यम से स्थापित किया गया था. मुज़म्मिल द्वारा अपने वास्तविक हैंडलर के बारे में पूछे जाने के बाद ओकासा ने उससे बातचीत बंद कर दी, जिससे उसकी मंशा और अधिक संदिग्ध मानी जा रही है.

उमर की बम निर्माण की तैयारी
उमर की गतिविधियों की जांच में सामने आया कि वह इंटरनेट पर बम बनाने से संबंधित वीडियो और साहित्य पढ़कर विस्फोटक तैयार करने की तकनीक सीख रहा था. उसने विस्फोटक बनाने के लिए आवश्यक रासायनिक पदार्थ नूंह से खरीदे, जबकि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दिल्ली के भागीरथ पैलेस और फरीदाबाद के NIT मार्केट से जुटाए. उसकी इस सक्रिय तैयारी को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने इसे एक बड़े खतरे के रूप में देखा है.

अल फलाह यूनिवर्सिटी में विवाद 
NIA की जांच में यह जानकारी भी मिली कि अल फलाह यूनिवर्सिटी के दौरान उमर और मुज़म्मिल के बीच पैसों को लेकर गंभीर विवाद हुआ था. इस विवाद के बाद उमर ने अपनी रेड इकोस्पोर्ट्स कार मुज़म्मिल को दे दी थी. यह घटना उनके आपसी संबंधों और आपराधिक योजना को लेकर और भी संकेत देती है.

डीप फ्रीजर में विस्फोटक स्टोर करने का तरीका
जांच में सामने आया कि उमर ने एक डीप फ्रीजर खरीदा था, जिसमें वह रसायन और विस्फोटक सामग्री जमा करके केमिकल बम तैयार कर रहा था. फ्रीजर को उसने एक सुरक्षित और गुप्त स्टोरेज की तरह इस्तेमाल किया, ताकि विस्फोटक सामग्री नज़र से दूर रहे और उसकी गतिविधियों पर किसी को शक न हो.

दिल्ली में मल्टी-लोकेशन ब्लास्ट की बड़ी साजिश
पूरी जांच से स्पष्ट हुआ कि आरोपी दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर एक ही समय में धमाके करने की योजना बना चुके थे. इन सभी विस्फोटकों को पहले एक गुप्त स्थान पर इकट्ठा किया जाना था और फिर निर्धारित समय पर राजधानी के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर धमाके करने का इरादा था. NIA इस पूरे मॉड्यूल के हर स्तर की जांच कर रही है, ताकि विदेशी संपर्क, फंडिंग चैनल और स्थानीय सहयोगियों की पहचान पूरी तरह की जा सके. यह नेटवर्क सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चुनौती बनकर उभरा है.

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22 November 2025, 03:48 PM IST

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