आसाराम की जमानत हुई खत्म, फिर पहुंचे सलाखों के पीछे... जोधपुर सेंट्रल जेल का वीडियो आया सामने
यौन उत्पीड़न के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम की मेडिकल आधार पर मिली अस्थायी जमानत की अवधि खत्म होने के बाद उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल वापस भेज दिया गया है. अस्पताल से छुट्टी के बाद उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और फिर विशेष सुरक्षा के बीच बैरक में शिफ्ट किया गया. अदालत ने निर्देश दिया है कि उन्हें जेल में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के तहत ही रखा जाए.

Asaram Bapu Jail Return : यौन उत्पीड़न के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम अब जोधपुर सेंट्रल जेल लौट चुके हैं. उन्हें स्वास्थ्य कारणों के चलते कुछ समय के लिए अस्थायी मेडिकल जमानत मिली थी, जिसके तहत उन्हें अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया. अब अदालत के आदेश के बाद जमानत की अवधि पूरी होने पर उन्हें दोबारा जेल में पेश किया गया.
जेल में प्रवेश से पहले मेडिकल जांच
कौन सा है मामला, जिसमें मिली है आजीवन सजा
आसाराम को 2018 में जोधपुर की पॉक्सो अदालत ने एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी करार दिया था. यह मामला 2013 का है, जब एक किशोरी ने आरोप लगाया था कि उसके साथ जोधपुर के आश्रम में यौन शोषण किया गया. अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, और तब से वह जेल में बंद हैं.
#WATCH | Rajasthan: Self-styled godman Asaram reaches Jodhpur Central Jail. He is serving life imprisonment in a sexual assault case. He was out on bail on medical grounds. pic.twitter.com/mr6xXEb2xg
— ANI (@ANI) August 30, 2025
जेल में मिलने की अनुमति सिर्फ वकीलों को
जैसे ही खबर फैली कि आसाराम वापस जेल आ चुके हैं, उनके कुछ अनुयायी जोधपुर जेल के बाहर पहुंच गए पर जेल प्रशासन ने उन्हें जेल के परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी. सिर्फ उनके अधिकृत वकील और सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों को ही उनसे मिलने की इजाजत दी गई. सुरक्षा के लिहाज से कोई भी ढील नहीं बरती गई.
भविष्य में फिर हो सकती है जमानत की कोशिश
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि आसाराम की कानूनी टीम भविष्य में एक बार फिर अदालत से जमानत की अपील कर सकती है, विशेषकर उनके स्वास्थ्य का हवाला देकर. हालांकि फिलहाल अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्हें जेल में ही उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के तहत रखा जाए. इस फैसले ने एक बार फिर इस बहुचर्चित मामले को लोगों की नजरों में ला दिया है, जिसमें धर्म, आस्था और कानून के बीच की जटिलता अक्सर चर्चा में रही है.


