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अब युद्ध सिर्फ मैदान में नहीं लड़ा जाएगा... ऑपरेशन सिंदूर पर CDS अनिल चौहान के 5 बड़े इनसाइट्स

CDS Anil Chauhan: ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग में भारत के CDS जनरल अनिल चौहान ने कहा कि यह मिशन भविष्य की जंग का ट्रेलर है. उन्होंने बताया कि यह सिर्फ हवाई हमलों तक सीमित नहीं था, बल्कि एक बहु-डोमेन ऑपरेशन था, जिसमें साइबर, अंतरिक्ष और सूचना युद्ध की रणनीतियां भी शामिल थीं.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

CDS Anil Chauhan: सिंगापुर में शांगरी-ला संवाद के दौरान, भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन युद्ध की प्रकृति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आज के युद्ध केवल भौतिक लड़ाई तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब यह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, साइबर क्षमताओं और सूचना पर नियंत्रण पर आधारित होते जा रहे हैं.

ऑपरेशन सिंदूर, जो 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान-आधारित कश्मीर में स्थित नौ आतंकवादी शिविरों पर किए गए सटीक हवाई हमलों से शुरू हुआ था, एक महत्वपूर्ण सैन्य शक्ति का प्रदर्शन था. हालांकि, जनरल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर केवल भौतिक हमलों तक सीमित नहीं था. उन्होंने कहा कि असल ताकत ऑपरेशन की मल्टी-डोमेन कार्यविधि में थी, जिसमें पारंपरिक सैन्य रणनीतियों के साथ-साथ साइबर युद्ध, अंतरिक्ष आधारित निगरानी और रणनीतिक सूचना संचालन भी शामिल थे.

मल्टी-डोमेन युद्ध की ओर एक बड़ा कदम

जनरल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पारंपरिक युद्ध से एक मल्टी-डोमेन दृष्टिकोण की ओर बदलाव को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया, जिसमें भूमि, वायु, समुद्र, साइबर और अंतरिक्ष ऑपरेशनों का एकीकृत रूप से उपयोग किया गया.

उन्होंने कहा कि, "आधुनिक युद्ध में रणनीतिक, ऑपरेशनल और तकनीकी स्तरों पर एक जटिल समागम हो रहा है; पुराने और नए डोमेन (भूमि, वायु, समुद्र, साइबर और अंतरिक्ष); और समय और स्थान का भी समागम हो रहा है."

झूठी खबरों का मुकाबला

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक महत्वपूर्ण हिस्सा झूठी खबरों और गलत सूचनाओं से निपटने में भी लगा. जनरल चौहान ने बताया कि भारतीय सशस्त्र बलों का लगभग 15% प्रयास झूठी खबरों और भ्रामक नरेटिव्स से निपटने में लगा था.

उन्होंने बताया कि, "झूठी खबरों से निपटना हमारी लगातार कोशिश थी. हमारी संचार रणनीति जानबूझकर और मापी हुई थी, हम प्रतिक्रियाशील नहीं थे, क्योंकि उच्च स्तर के ऑपरेशनों के दौरान गलत सूचनाएं तेजी से सार्वजनिक धारणा को प्रभावित कर सकती हैं."

साइबर हमलों से सुरक्षा

ऑपरेशन के दौरान साइबर हमलों के प्रयास किए गए, लेकिन भारतीय सैन्य प्रणालियाँ पूरी तरह सुरक्षित रही. जनरल चौहान ने कहा, "हमारी सैन्य प्रणालियाँ एयर-गैप्ड हैं, यानी ये इंटरनेट से जुड़ी नहीं हैं और इसलिए ये काफी हद तक सुरक्षित हैं. सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर साइबर हमले हो सकते थे, लेकिन वे ऑपरेशनल प्रणालियों को प्रभावित नहीं कर सके."

आधुनिक युद्ध में एकीकृत तकनीकी समन्वय

जनरल चौहान ने आधुनिक युद्ध में एकीकृत तकनीकी समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि, "आधुनिक युद्ध में सबसे महत्वपूर्ण बात प्रणालियों का नेटवर्किंग और वायु, भूमि, समुद्र और साइबर डोमेन में वास्तविक समय में समन्वय है. यदि आपके पास बेहतरीन तकनीकी सुविधाएं हैं लेकिन वो एकजुट नहीं हैं, तो आप उन्हें पूरी तरह से उपयोग नहीं कर सकते."

सैन्य संरचना और प्रशिक्षण में सुधार

जनरल चौहान ने यह भी कहा कि ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के कारण विशेष इकाइयों का निर्माण आवश्यक होगा. उन्होंने कहा कि, "हमें ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) और यूटीएपी (Unmanned Teaming Aerial Platforms) के लिए अलग-अलग संगठन बनाने होंगे." उन्होंने जोड़ा, "पहले हमारे पास सेना में वास्तविक संयुक्तता या एकीकरण नहीं था. अब, पहलों और ऑपरेशनल अनुभवों के बाद, हम एकीकृत कमांड और अधिक लचीली संरचनाओं की ओर बढ़ रहे हैं."

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01 June 2025, 12:12 PM IST

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