दो चरणों में और डिजिटल होगी जनगणना...केंद्र सरकार ने संसद में दी जानकारी, सामने आया शेड्यूल
केंद्र सरकार ने जनगणना को दो चरणों में कराने का फैसला लिया है. पहला चरण अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच होगा. वहीं दूसरे चरण की बात करें तो फरवरी 2027 में होगा. केंद्र सरकार ने यह जानकारी आज यानी मंगलवार को लोकसभा में दी.

नई दिल्ली : नई दिल्ली में मंगलवार को लोकसभा में केंद्रीय सरकार ने जानकारी दी कि देश में आगामी जनगणना को दो चरणों में कराया जाएगा. पहले चरण का कार्य अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच संपन्न होगा, जिसमें हाउज लिस्टिंग और हाउस सेंसस का काम किया जाएगा. इस चरण में प्रत्येक घर की पहचान, परिवार संरचना और बुनियादी जानकारी इकट्ठा की जाएगी, जो कि अंतिम जनगणना के लिए आधार तैयार करेगी. दूसरे चरण में फरवरी 2027 में वास्तविक जनसंख्या की गिनती यानी पॉपुलेशन एन्यूमरेशन होगी. इस बार की जनगणना की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें जाति की गणना भी शामिल होगी, जो सामाजिक और आर्थिक योजनाओं के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है.
विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग समय और तारीखें तय की गई
डिजिटल प्रक्रिया और सवालों की तैयारी
इस बार की जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी. इससे डेटा संग्रह और प्रोसेसिंग की प्रक्रिया तेज होगी और त्रुटियों की संभावना भी कम रहेगी. इसके लिए जनगणना के सवालों की लिस्ट विभिन्न मंत्रालयों, संगठनों, विभागों और जनगणना डेटा यूजर्स से प्राप्त सुझावों और जानकारी के आधार पर अंतिम रूप दी जाएगी. डिजिटल प्रणाली के माध्यम से आंकड़ों का सुरक्षित संग्रह और त्वरित विश्लेषण संभव होगा, जो भविष्य में नीति निर्माण और सामाजिक योजनाओं के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा.
जाति की गणना का महत्व
इस बार की जनगणना में जाति की गणना भी शामिल है, जो देश में सामाजिक और आर्थिक नीतियों के लिए महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध कराएगी. इससे विभिन्न सामाजिक वर्गों की स्थिति का विस्तृत आंकलन किया जा सकेगा और नीति निर्धारण अधिक सटीक एवं प्रभावशाली होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि जाति आधारित आंकड़ों के माध्यम से सरकार योजनाओं की प्राथमिकता तय कर सकेगी और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से लागू कर पाएगी.
इस प्रकार, आगामी जनगणना केवल आंकड़ों का संग्रह नहीं, बल्कि देश की सामाजिक और आर्थिक तस्वीर को स्पष्ट करने वाला एक महत्वपूर्ण अभियान है. डिजिटल प्रक्रिया और जाति की गणना के समावेश से यह जनगणना पिछले सभी संस्करणों से अधिक प्रभावशाली और आधुनिक बनेगी. सरकार की यह पहल भविष्य में नीति निर्माण, सामाजिक योजनाओं और देश के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी.


