चैतन्यानंद सरस्वती आगरा से गिरफ्तार, 17 छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में हुई गिरफ्तारी
Chaitanyanand Saraswati arrest: दिल्ली पुलिस ने आध्यात्मिक गुरु चैतन्यानंद सरस्वती को आगरा से गिरफ्तार किया. उन पर छात्राओं से यौन उत्पीड़न और 40 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी के आरोप हैं. अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता और सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका को देखते हुए हिरासत जरूरी है.

Chaitanyanand Saraswati arrest: दिल्ली पुलिस ने आध्यात्मिक गुरु चैतन्यानंद सरस्वती को गंभीर आरोपों के तहत आगरा के एक होटल से गिरफ्तार किया. उनके खिलाफ छात्राओं द्वारा यौन उत्पीड़न और वित्तीय गड़बड़ियों से जुड़े कई मामले दर्ज हैं. गिरफ्तारी के तुरंत बाद पुलिस उन्हें कानूनी कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी ले गई.
वसंत कुंज छेड़छाड़ मामला
चैतन्यानंद को रविवार (28 सितंबर) को दिल्ली की अदालत में पेश किया जाएगा. संभावना है कि पुलिस मामले की गहराई से जांच के लिए उनकी हिरासत की मांग करेगी. दिल्ली के वसंत कुंज में स्थित श्री शारदा भारतीय प्रबंधन संस्थान से जुड़ा यह मामला राजधानी को हिला चुका है. आरोप है कि सरस्वती, जिन्हें पार्थसारथी भी कहा जाता है, ने संस्थान में पढ़ने वाली छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की. यह संस्थान श्रृंगेरी शारदा पीठम से संबद्ध है और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति के तहत पीजीडीएम कोर्स उपलब्ध कराता है.
वित्तीय अनियमितताओं के आरोप
चैतन्यानंद सरस्वती पर केवल यौन उत्पीड़न ही नहीं, बल्कि करोड़ों की वित्तीय गड़बड़ियों का भी आरोप है. अदालत ने हाल ही में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि मामले की जांच के शुरुआती चरण में उन्हें राहत देना उचित नहीं है. यह मामला श्रृंगेरी शारदा पीठम और उसकी शैक्षिक शाखा के धन के दुरुपयोग से जुड़ा है.
अदालत का रुख
पटियाला हाउस कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. हरदीप कौर ने कहा कि आरोपों की गंभीरता देखते हुए हिरासत में पूछताछ जरूरी है. शुरुआती जांच में जमानत मिलने से न केवल सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है, बल्कि गवाहों को डराने का खतरा भी है. अदालत ने साफ कहा कि प्रभावशाली लोगों को कानून से ऊपर समझने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
40 करोड़ के गबन का आरोप
अभियोजन पक्ष के अनुसार, सरस्वती ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर एक समानांतर ट्रस्ट बनाया और लगभग 40 करोड़ रुपये का गबन किया. आरोप है कि पीठम और संस्थान से आने वाला राजस्व इसी ट्रस्ट में स्थानांतरित किया गया. इतना ही नहीं, दिल्ली के वसंत कुंज स्थित संपत्तियों को अवैध रूप से किराये पर देकर मुनाफा कमाया गया.
फर्जी दस्तावेज और दो पासपोर्ट
दिल्ली पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि सरस्वती ने अलग-अलग पहचान के तहत दो पासपोर्ट बनाए और पैन कार्ड की जानकारी में हेरफेर की. यहां तक कि एक लक्ज़री कार खरीदने के लिए नकली पंजीकरण दस्तावेजों का इस्तेमाल भी किया गया.
बचाव पक्ष की दलील
सरस्वती के वकील अजय बर्मन ने अदालत में कहा कि शैक्षणिक संस्थान चलाने के लिए ट्रस्ट बनाना कानूनी प्रक्रिया है और कोई संपत्ति नहीं बेची गई है. उनका कहना था कि मामला आपराधिक नहीं बल्कि दीवानी प्रकृति का है और इसे अदालत में आसानी से सुलझाया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि सरस्वती जांच में शामिल होने को तैयार हैं.
अभियोजन पक्ष की आपत्ति
अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि लगभग 30 करोड़ रुपये की वसूली के लिए सरस्वती से हिरासत में पूछताछ जरूरी है. अभियोजकों का आरोप है कि फरार रहते हुए भी उन्होंने 60 लाख रुपये की निकासी की और अपनी छवि सुधारने के लिए प्रधानमंत्री की सलाहकार परिषद और संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि होने का झूठा दावा किया.
अदालत का अंतिम फैसला
अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला गंभीर प्रकृति का है और जांच अभी प्रारंभिक चरण में है. एकाधिक पहचान, एफआईआर दर्ज होने के बाद भी निकासी और गवाहों को प्रभावित करने की संभावना को देखते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई. अब सरस्वती को पुलिस हिरासत में पूछताछ का सामना करना होगा.


