चीन और पाकिस्तान भारत की सुरक्षा के लिए खतरा, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट '2025 विश्व खतरा आकलन' में भारत के लिए चीन और पाकिस्तान को प्रमुख सुरक्षा खतरे बताया गया है. रिपोर्ट में दोनों देशों की सैन्य महत्वाकांक्षाएं, परमाणु क्षमताएं और तकनीकी उन्नति को लेकर गंभीर चेतावनी दी गई है. चीन को अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य प्रतिद्वंद्वी बताया गया, जबकि पाकिस्तान की नीतियां भारत की पारंपरिक शक्ति को चुनौती देती हैं. भारत को सीमा सुरक्षा और रक्षा आधुनिकीकरण पर सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है.

अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट ने दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति पर गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं. इसमें भारत के दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों चीन और पाकिस्तान को उसकी सुरक्षा के लिए मुख्य चुनौतियों के रूप में पेश किया गया है. रिपोर्ट में दोनों देशों की सैन्य विस्तार योजनाओं और तकनीकी उन्नति पर विशेष ध्यान दिया गया है.
मोदी सरकार की प्राथमिकताएं
रिपोर्ट इस बात को रेखांकित करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की वैश्विक स्थिति को सुदृढ़ करने, रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और विशेषकर चीन की बढ़ती आक्रामकता का मुकाबला करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारत चीन को अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है, जबकि पाकिस्तान को एक लगातार लेकिन द्वितीयक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है.
हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद तैयार की गई इस रिपोर्ट में भारत की उभरती सैन्य क्षमताओं का भी विश्लेषण किया गया है, जिसमें देश की आधुनिकरण प्रक्रिया, रक्षा सौदे, और सामरिक नीति के पहलुओं को शामिल किया गया है.
पाकिस्तान की रक्षा रणनीति और परमाणु प्राथमिकताएं
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की रक्षा नीति आने वाले वर्षों में तीन मुख्य क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगी.
- भारत से लगती सीमाओं पर तनाव को नियंत्रण में रखना,
- आतंकी समूहों जैसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलूच विद्रोहियों से मुकाबला करना,
- अपनी परमाणु क्षमताओं को उन्नत करना.
2024 में आतंकवादी हमलों के चलते पाकिस्तान में 2,500 से अधिक लोगों की मौत हुई है, जो वहां की आंतरिक सुरक्षा स्थिति को दर्शाता है.
पाकिस्तान भारत की पारंपरिक सैन्य ताकत का संतुलन बनाए रखने के लिए सामरिक परमाणु हथियारों के विकास में भी तेजी ला रहा है. रिपोर्ट यह भी बताती है कि पाकिस्तान चीन, तुर्की, यूएई, सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों के साथ मिलकर संवेदनशील सैन्य तकनीकों और सामग्री की अवैध खरीद में संलिप्त है.
चीन की वैश्विक शक्ति बनने की चाह
रिपोर्ट चीन को संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए सबसे बड़ा सैन्य खतरा मानती है. चीन तेजी से अपनी सेना को भूमि, वायु, जल, साइबर और अंतरिक्ष सभी क्षेत्रों में अत्याधुनिक बना रहा है. उसका उद्देश्य पूर्वी एशिया में प्रभुत्व स्थापित करना, ताइवान को जबरन मुख्य भूमि में मिलाना, और अंततः अमेरिका की वैश्विक स्थिति को चुनौती देना है.
चीन के पास इस समय अनुमानित 600 सक्रिय परमाणु हथियार हैं और 2030 तक यह संख्या 1,000 से अधिक होने की संभावना जताई गई है. इसके साथ ही चीन अंतरिक्ष तकनीक, सैटेलाइट निगरानी, और विदेशों में सैन्य ठिकानों पर भारी निवेश कर रहा है ताकि वह भविष्य में वैश्विक सैन्य तैनाती को सुगम बना सके.
भविष्य के लिए चेतावनी
रिपोर्ट यह निष्कर्ष निकालती है कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही भारत के लिए भू-राजनीतिक तनाव के स्थायी स्रोत बने रहेंगे. ये देश न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन को प्रभावित करेंगे, बल्कि आने वाले वर्षों में वैश्विक सामरिक परिदृश्य को भी आकार देंगे.
इस प्रकार, अमेरिका की यह रिपोर्ट भारत के नीति निर्माताओं और सुरक्षा रणनीतिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी के रूप में सामने आई है. इसमें सुझाया गया है कि भारत को दोनों मोर्चों सीमा सुरक्षा और रक्षा आधुनिकीकरण पर सतर्क और सक्रिय रहना होगा.


