कांग्रेस ने 8 भूमिहार समेत 19 सवर्ण कैंडिडेट को दिया मौका, आरजेडी ने भी साधे सामाजिक समीकरण
Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन ने अपने सामाजिक समीकरण को मजबूत किया है. कांग्रेस ने 50 सीटों पर सवर्ण, पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित और मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका दिया, जबकि राजद ने यादव और मुस्लिम वोटरों पर ध्यान केंद्रित किया. वामदल और वीआईपी ने भी पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग को प्राथमिकता दी है.

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए के मुकाबले महागठबंधन ने अपने सामाजिक समीकरण को विस्तार देने का प्रयास किया है. इसमें प्रमुख दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस ने अपने पारंपरिक वोट बैंक के साथ-साथ सर्वसमाज को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों की सूची तैयार की है. वहीं, वामदलों ने भी अपने आधार वोटरों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों का चयन किया है.
कांग्रेस का रणनीतिक चयन
कांग्रेस ने 50 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है. इसमें सवर्णों को प्राथमिकता देते हुए 19 सीटों पर भूमिहार, ब्राह्मण और राजपूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है. पिछड़ा वर्ग से 10 उम्मीदवार, अति पिछड़ा वर्ग से 6 उम्मीदवार और 5 मुस्लिम उम्मीदवार भी शामिल हैं. इसके अलावा, अनुसूचित जाति के 9 और अनुसूचित जनजाति के 1 उम्मीदवार को टिकट दिया गया है. पार्टी का मकसद यह है कि सवर्ण, दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा और मुस्लिम समाज के वोटर अपनी भूमिका निभाएं.
आरजेडी का जनाधार
राष्ट्रीय जनता दल ने अपनी 51 सीटों की सूची में आधे से अधिक उम्मीदवार यादव समाज से चुने हैं. इसके अलावा, पार्टी ने 6 मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है. राजद का लक्ष्य पारंपरिक यादव और मुस्लिम वोटरों के साथ अति पिछड़ा वर्ग और अन्य सामाजिक समूहों को जोड़ना है.
वामदलों और वीआईपी की भूमिका
वामदलों ने 29 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं. इनमें से 15 सीटों पर पिछड़ा वर्ग को टिकट दिया गया है. दलों ने एक अति पिछड़ा, आठ दलित और दो मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है. वामदल कांग्रेस और राजद के साथ महागठबंधन का हिस्सा हैं. वीआईपी ने भी अपनी सीमित संख्या में अति पिछड़ा वर्ग और अन्य वर्गों को प्राथमिकता दी है.
अति पिछड़ा वर्ग पर फोकस
महागठबंधन इस बार विशेष रूप से अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को साधने पर जोर दे रहा है. बिहार में यह वर्ग लगभग 36 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और एनडीए, विशेषकर जदयू, के लिए पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है. राहुल गांधी और अन्य महागठबंधन नेताओं ने इस वर्ग के साथ संवाद और बैठकें की हैं ताकि उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके.
2020 चुनाव में कितने सवर्ण उम्मीदवार थे?
पिछले चुनावों में कांग्रेस ने 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें सबसे अधिक सवर्ण 34 थे. मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या 10 और दलित 13 थी. पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग को क्रमशः 10 और 3 सीटों पर मौका मिला था. इस बार कांग्रेस और राजद ने अपने सामाजिक समीकरण को और संतुलित करने का प्रयास किया है.


