भारत में पोंजी स्कीम का हमला, 49,000 करोड़ की ठगी, 5 करोड़ निवेशक हुए शिकार
उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने पर्ल्स एग्रो-टेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड के निदेशक गुरनाम सिंह को एक बड़े वित्तीय घोटाले में गिरफ्तार किया गया है. गुरनाम सिंह पर कथित तौर पर एक पोंजी स्कीम चलाने का आरोप है, जिसमें दस राज्यों के लगभग पाँच करोड़ निवेशकों को धोखा देकर लगभग 49,000 करोड़ रुपये की रकम हड़प ली गई.

Biggest Money Scam: भारत की सबसे बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (DOW) ने गुरुवार को पंजाब के रोपड़ जिले से पर्ल्स एग्रो-टेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PLCL) के निदेशक गुरनाम सिंह को गिरफ्तार कर लिया. यह गिरफ्तारी उस पोंजी घोटाले के सिलसिले में की गई है, जिसमें आरोपी ने देश के 10 राज्यों में लगभग 49,000 करोड़ रुपये का अवैध निवेश इकठ्ठा किया था. पीएसीएल का यह घोटाला एक परफेट योजना के तहत संचालित किया गया था, जिसके तहत विभिन्न राज्यों के लोगों को आकर्षक योजनाओं का झांसा देकर उनसे भारी मात्रा में पैसे जुटाए गए थे. आरोपियों पर यह भी आरोप है कि वे निवेशकों को जमीन देने का वादा करते थे, लेकिन बाद में न तो प्लॉट मिलता और न ही जमा की गई राशि वापस की.
PLCL की साजिश
पर्ल्स एग्रो-टेक, जिसे पहले गुरवंत एग्रोटेक लिमिटेड के नाम से जाना जाता था. राजस्थान के जयपुर में पंजीकृत थी. बाद में कंपनी ने अपना नाम बदलकर पीएसीएल रखा और उत्तर प्रदेश समेत 10 राज्यों में अपनी शाखाएं खोल दीं. ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के अनुसार, कंपनी ने आरबीआई अधिनियम, 1934 के तहत कोई पंजीकरण प्राप्त किए बिना अपने बैंकिंग संचालन की शुरुआत कर दी थी. कंपनी ने जिन राज्यों में अपनी शाखाएं खोलीं, उनमें उत्तर प्रदेश, असम, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, बिहार और छत्तीसगढ़ प्रमुख थे. इन राज्यों के निवेशकों को आकर्षक योजनाओं के तहत उनसे आरडी जमा राशी और एफडी के बदले में भूमि देने का वादा किया गया था. लेकिन बाद में कंपनी ने न तो जमीन दिया और न ही पैसे वापस की.
DOW की प्रमुख का बयान
ईओडब्ल्यू की महानिदेशक (डीजी) नीरा रावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा, कंपनी पर आरोप है कि इसने उत्तर प्रदेश के महोबा, सुल्तानपुर, फर्रुखाबाद और जालौन जैसे जिलों के निवेशकों से आकर्षक योजनाओं का प्रचार किया और उन्हें आरडी और एफडी के बदले में जमीन देने का वादा किया. इस तरीके से कंपनी ने लगभग 49,000 करोड़ रुपये एकत्र किए, लेकिन बाद में न तो प्लॉट मिला और न ही निवेशकों की जमा राशि वापस की गई. साथ ही नीरा रावत ने यह भी कहा कि, "पीएसीएल के संचालक अपने कार्यालय बंद करके फरार हो गए थे. जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने जालौन जिले में कंपनी की शाखा की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी."
FIR और गुरनाम सिंह की गिरफ्तारी
ईओडब्ल्यू ने जालौन जिले में पीएसीएल की शाखा की जांच के बाद आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की, जिसमें 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज को वास्तविक के रूप में उपयोग करना) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) शामिल हैं. गुरनाम सिंह को 9 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था, और वह मामले में 10 नामजद आरोपियों में से एक हैं. इससे पहले, सीबीआई मामलों में और चार अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है और वे फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं.


