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दिल्ली में दिवाली के बाद जहरीली हवा, ओजोन परत में PM2.5 और PM10 का जमावड़ा

दिल्ली की हवा अक्टूबर में गंभीर रूप से प्रदूषित हुई है. महीने के पहले हिस्से में ओज़ोन और CO हावी थे, जबकि 20 अक्टूबर के बाद PM2.5 और PM10 बढ़ गए. दिवाली के पटाखे, वाहनों और उद्योगों से उत्सर्जन ने AQI को “बहुत खराब” श्रेणी तक पहुंचा दिया, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा उत्पन्न हुआ.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

Delhi AQI: दिल्ली एक बार फिर अपने वार्षिक वायु प्रदूषण संकट से जूझ रही है. हर साल की तरह इस बार भी अक्टूबर के महीने ने राजधानी की सांसों में जहर घोल दिया है. लेकिन इस बार हवा में एक दिलचस्प और चिंताजनक बदलाव देखने को मिला है. महीने के पहले हिस्से में जहां ओजोन (O₃) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) जैसे गैसीय प्रदूषक प्रमुख थे, वहीं पिछले कुछ दिनों से कणिकामय पदार्थ (PM2.5 और PM10)हो गए हैं.

प्रदूषण के स्वरूप में बड़ा बदलाव

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, 1 से 19 अक्टूबर तक दिल्ली की हवा में ओज़ोन और CO का प्रभुत्व रहा. इन दिनों में से 12 दिन ऐसे थे जब ओज़ोन प्रमुख प्रदूषक थी. इसका कारण था साफ आसमान, हल्की बारिश और भरपूर धूप  जो ओज़ोन निर्माण के लिए आदर्श परिस्थितियां हैं. लेकिन जैसे-जैसे दिवाली नज़दीक आई, हवा में अचानक बदलाव आया.20 अक्टूबर के बाद दिल्ली की हवा में ओजोन और CO की मात्रा घटने लगी और उनकी जगह सूक्ष्म कणिकाएं (PM2.5 और PM10) ने ले लीं. ये कण बेहद खतरनाक हैं, क्योंकि ये फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं. दिवाली और स्थिर हवा से बिगड़ी स्थिति

20 अक्टूबर से दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार बहुत खराब श्रेणी में बना हुआ है. 22 और 23 अक्टूबर को पीएम10 प्रमुख प्रदूषक रहा. 24 घंटे के औसत आंकड़ों के अनुसार, 23 अक्टूबर को दिल्ली का AQI 305 रहा,लेकिन बुधवार के 353 से थोड़ा कम था, फिर भी बेहद खतरनाक स्तर पर था.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव दहन-जनित उत्सर्जन में वृद्धि का परिणाम है,  जिसमें पटाखों, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों और स्थानीय कचरा जलाने से निकलने वाले धुएं का बड़ा योगदान है. दिवाली के दौरान फोड़े गए पटाखों ने हवा को और भी भारी बना दिया.

बढ़ते दहन स्रोत जिम्मेदार

ऊर्जा और वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ ने कहा कि महीने की शुरुआत में बारिश और धूप ने ओजोन जैसी गैसों के निर्माण को बढ़ावा दिया, लेकिन जैसे ही मौसम शुष्क और हवा की गति धीमी हुई, स्थानीय दहन स्रोतों से निकलने वाले उत्सर्जन ने हवा को प्रदूषित कर दिया. उन्होंने बताया कि वाहनों, औद्योगिक गतिविधियों और कचरा जलाने से पीएम2.5 और पीएम10 का स्तर तेजी से बढ़ा है. इसके अलावा, दिवाली से पहले से ही लोग पटाखे फोड़ रहे हैं, जो प्रदूषण का बड़ा कारण बन गया है.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की विशेषज्ञ अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि यह बदलाव अपेक्षित था. दिल्ली की हवा में दहन स्रोत हमेशा हावी रहते हैं, सिर्फ गर्मियों में धूल का प्रभाव ज्यादा होता है. अक्टूबर के पहले पखवाड़े में बारिश ने हवा को साफ किया, लेकिन अब मौसम सूखा और शांत है, जिससे कणिकाएं जमने लगी हैं. 

एक्यूआई के बढ़ते स्तर से बढ़ी चिंता

सीपीसीबी के अनुसार, दिल्ली का AQI 0-50 के बीच अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 हुत खराब और 400 से ऊपर गंभीर श्रेणी में आता है.अक्टूबर की शुरुआत में जहां AQI 73 तक संतोषजनक था, वहीं महीने के अंत तक यह 353 तक पहुंच गया, यानी लगभग 300 अंकों की वृद्धि.
 

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24 October 2025, 07:59 AM IST

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