score Card

दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस पर रोक... सरकार ने पेश किया नया विधेयक, जाने पूरी जानकारी

इस विधेयक का मकसद राष्ट्रीय राजधानी में निजी स्कूलों द्वारा की जाने वाली मनमानी फीस बढ़ोतरी पर लगाम लगाना है. इसमें ऐसे स्कूलों पर सख्त जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जो बिना किसी ठोस वजह के अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालते हैं.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Delhi private School Fee Regulation Bill: दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों में मनमाने तरीके से फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. सोमवार को दिल्ली विधानसभा में 'दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक, 2025' पेश किया गया. यह विधेयक निजी स्कूलों द्वारा फीस में अनियमित बढ़ोतरी को नियंत्रित करने और शिक्षा के व्यावसायीकरण पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लाया गया है. विधानसभा में विधेयक पेश करते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दो टूक कहा कि शिक्षा को व्यापार नहीं बनने दिया जा सकता. उन्होंने कहा, 'शिक्षा कोई बिकने वाली वस्तु नहीं है. हम उन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं जो मुनाफे के लिए शिक्षा बेच रहे हैं.'

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

इस विधेयक को 29 अप्रैल को दिल्ली कैबिनेट से मंजूरी मिली थी. इसके अंतर्गत निजी स्कूलों द्वारा बिना अनुमति या पारदर्शिता के की गई फीस वृद्धि को गैरकानूनी घोषित किया गया है. पहली बार नियमों के उल्लंघन पर स्कूलों पर ₹1 लाख से ₹5 लाख तक जुर्माना लगाया जाएगा. बार-बार उल्लंघन करने पर यह जुर्माना ₹2 लाख से ₹10 लाख तक पहुंच सकता है. अगर स्कूल अतिरिक्त वसूली गई फीस को समय पर वापस नहीं करते, तो 20 दिनों के बाद जुर्माना दोगुना, 40 दिन बाद तीगुना और फिर हर 20 दिन में और बढ़ता जाएगा. बार-बार नियम तोड़ने पर स्कूल प्रबंधन के सदस्य अपने पद से अयोग्य घोषित किए जा सकते हैं और भविष्य में शुल्क संशोधन का प्रस्ताव देने का अधिकार भी छीन लिया जाएगा.

सरकार का दावा

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस विधेयक को अभिभावकों के हक में बताते हुए कहा, 'यह विधेयक स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाएगा और अभिभावकों के हितों की रक्षा करेगा.' सरकार का कहना है कि यह कदम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ गुणवत्ता भी सुनिश्चित करेगा.

AAP ने साधा निशाना

हालांकि, आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस विधेयक की तीखी आलोचना की है. पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी और अन्य नेताओं ने इसे स्कूल प्रबंधन को लाभ पहुंचाने वाला करार दिया है. उन्होंने सवाल उठाया, 'अगर यह विधेयक वास्तव में जनहित में है, तो इसे जनता के सामने सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया?' पार्टी का आरोप है कि सरकार इस विधेयक की आड़ में निजी स्कूलों को संरक्षण दे रही है.

 राजनीतिक घमासान

जैसे-जैसे यह विधेयक विधानसभा में आगे बढ़ेगा, इसके विरोध और समर्थन में राजनीतिक बयानबाजी और तीव्र होती दिखाई दे सकती है. अभिभावकों, स्कूल प्रबंधन और राजनीतिक दलों की नजरें इस विधेयक की अंतिम रूपरेखा और लागू होने की प्रक्रिया पर टिकी हैं.

calender
04 August 2025, 07:33 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag