वंशवादी राजनीति लोकतंत्र के लिए खतरा, शशि थरूर ने योग्यता को दिया महत्व,बोले- अब समय आ गया है कि...
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भारतीय राजनीति में बढ़ते वंशवाद को लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया. उन्होंने कहा कि परिवार आधारित राजनीति योग्यता और जनसेवा की भावना को कमजोर करती है.

केरल : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने अपने एक अंतरराष्ट्रीय लेख में भारतीय राजनीति में बढ़ते वंशवाद को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उनका कहना है कि जब राजनीति पारिवारिक उत्तराधिकार के इर्द-गिर्द घूमने लगती है, तब लोकतंत्र का मूल सार कमजोर हो जाता है. उन्होंने इस प्रवृत्ति को न केवल कांग्रेस तक सीमित बताया, बल्कि कहा कि लगभग हर प्रमुख राजनीतिक दल में यह बीमारी गहराई तक फैल चुकी है.
वंशवाद की जड़ें और उसका राजनीति में असर
Dr Tharoor has become Khatron ke Khiladi
He has directly called out Nepo Kids or Nawabs of Nepotism
Sir when i called out Nepo Naamdar Rahul Gandhi in 2017 - you know what happened to me
Sir praying for you…
First family is very vengeful https://t.co/yvaMEY8vtI— Shehzad Jai Hind (Modi Ka Parivar) (@Shehzad_Ind) November 3, 2025
योग्यता आधारित राजनीति की आवश्यकता
थरूर ने अपने लेख में सुझाव दिया कि अब भारत को वंशवाद से आगे बढ़कर योग्यता आधारित राजनीतिक व्यवस्था की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि “भारत को अब वंशवाद नहीं, मेरिटोक्रेसी चाहिए.” इसके लिए उन्होंने कुछ ठोस उपाय सुझाए जैसे कि राजनीतिक दलों में नियमित और पारदर्शी आंतरिक चुनाव कराना, नेताओं के लिए कार्यकाल की सीमाएँ तय करना, और मतदाताओं को यह समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाना कि वे केवल किसी परिवार या नाम के आधार पर नहीं, बल्कि योग्यता और ईमानदारी के आधार पर अपने प्रतिनिधियों का चयन करें.
कई राज्यों में पार्टियां परिवारवाद में फंसी हुई है
थरूर ने अपने लेख में यह स्वीकार किया कि कांग्रेस पार्टी को अक्सर नेहरू-गांधी परिवार से जोड़ा जाता है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि वंशवाद का दायरा इससे कहीं अधिक बड़ा है. भाजपा, क्षेत्रीय दल, और कई राज्यों की सत्तारूढ़ पार्टियां भी परिवारवाद की इसी प्रवृत्ति में फंसी हुई हैं. उन्होंने लिखा कि यह समस्या तब तक बनी रहेगी, जब तक दल अपने संगठनात्मक ढाँचे में वास्तविक लोकतंत्र को लागू नहीं करते.
थरूर ने “नेपो किड्स” पर सीधा प्रहार
थरूर के इस बयान के बाद भाजपा ने इसे तुरंत राजनीतिक मुद्दा बना लिया. भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा कि थरूर ने “नेपो किड्स” पर सीधा प्रहार किया है, और उन्हें चेतावनी दी कि ऐसे बयान कांग्रेस नेतृत्व को रास नहीं आते. पूनावाला ने कहा कि जब उन्होंने 2017 में राहुल गांधी पर इसी तरह की टिप्पणी की थी, तब उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी थी. उन्होंने थरूर को व्यंग्य में “खतरों के खिलाड़ी” कहते हुए कहा कि “पहला परिवार बहुत प्रतिशोधी है.”
लोकतंत्र की मजबूती के लिए सुधार का आह्वान
थरूर का यह लेख केवल आलोचना भर नहीं है, बल्कि एक गहरी चिंता और सुधार की अपील भी है. उनका तर्क है कि भारत में लोकतंत्र तभी मजबूत होगा, जब राजनीतिक नेतृत्व संघर्ष और समर्पण से उभरे, न कि विरासत और परिवार के नाम से. उन्होंने कहा कि अगर राजनीतिक दल अपने भीतर पारदर्शिता और आंतरिक लोकतंत्र को बढ़ावा दें, तो जनता भी अधिक जागरूक और जिम्मेदार बन सकती है.


