'तू बाहर आ', पहले इस्लामी आयत पढ़ने को कहा, फिर गोलियों से किया छलनी, पिता की मौत पर बेटी का छलका दर्द
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले में पुणे के व्यापारी संतोष जगदले और उनके परिवार समेत 26 लोग मारे गए, जिनमें 2 विदेशी और 2 स्थानीय लोग शामिल थे. इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के समर्थक 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने ली.

जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को हिला दिया. पुणे के व्यापारी संतोष जगदले और उनके परिवार ने अपने जीवन का सबसे खौफनाक अनुभव तब किया जब वे एक टेंट के भीतर छिपे हुए थे, जबकि गोलीबारी और मदद की आवाजें चारों ओर से गूंज रही थी. ये घटना तब घटी जब संतोष जगदले और उनका परिवार, जो उस समय एक पर्यटक के रूप में वहां थे, आतंकियों के निशाने पर आ गए. हमलावरों ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक होने का आरोप लगाया और संतोष को गोलियों से छलनी कर दिया. इस हमले में कुल 26 लोग मारे गए, जिनमें 2 विदेशी और 2 स्थानीय लोग शामिल थे.
इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के छायाबंद समूह 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली है. आतंकवादियों ने ना केवल निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया, बल्कि तात्कालिक क्षेत्र में भय और आतंक का माहौल बना दिया. इस हमले ने ना केवल स्थानीय लोगों को बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी संकट में डाल दिया.
जब आवाजें नजदीक आने लगीं
संतोष जगदले की बेटी असावरी ने बताया कि जब उन्होंने हमलावरों को पहाड़ी से उतरते हुए देखा, तो उनकी पहचानी हुई ड्रेस स्थानीय पुलिस से मिलती-जुलती थी. शुरुआत में उन्हें लगा कि ये गोलीबारी सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ का हिस्सा हो सकती है. लेकिन जैसे-जैसे गोलीबारी नजदीक आने लगी, उन्होंने और उनके परिवार ने पास के एक टेंट में शरण ली. इसके बाद हमलावरों ने एक खौफनाक आदेश दिया- चौधरी, तू बाहर आ जा और संतोष को बाहर खींच लिया.
आतंकियों द्वारा धार्मिक पहचान की पूछताछ और हमला
असावरी ने कहा कि जब हमलावरों ने उनसे ये पूछा कि वे हिंदू हैं या मुस्लिम, तो उन्होंने अपने पिता से इस्लामिक कलमा पढ़ने को कहा. जब संतोष इसे नहीं पढ़ पाए, तो हमलावरों ने उनके सिर में, कान के पीछे और पीठ में तीन गोलियां दाग दी. इसके बाद, आतंकियों ने उनके चाचा को भी गोली मारी. पुलिस और सुरक्षा बलों ने घटनास्थल तक पहुंचने में 20 मिनट का समय लिया.
हमले के बाद का घना संकट और बचाव
असावरी और उनके परिवार को स्थानीय लोगों और सुरक्षा बलों ने बाइसरण घाटी से निकाला. इस दौरान वे नहीं जानते थे कि उनके पिता और चाचा जीवित हैं या नहीं. इसी बीच, नागपुर से आए एक जोड़े ने भागकर जान बचाई, लेकिन उनके बेटे और पत्नी ने काफी कठिनाइयों का सामना किया. महिला घायल हो गई और उन्हें फ्रैक्चर भी हुआ.
हमले के बाद का बचाव और मदद
बाइसरण घाटी में ये हमला उस समय हुआ जब पर्यटक यहां शांतिपूर्ण तरीके से समय बिता रहे थे. हमलावरों द्वारा की गई गोलीबारी ने सभी को दहशत में डाल दिया. घायल पर्यटकों को वहां से निकालने के लिए हेलिकॉप्टर भेजे गए. स्थानीय लोग भी इस मिशन में शामिल हुए और घायल लोगों को उनके घोड़े और पोनियों पर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया.
ये हमला जम्मू-कश्मीर में 2019 पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला था. इस घटना में मारे गए 26 लोगों में 2 विदेशी पर्यटक और 2 स्थानीय लोग शामिल थे.


