नहीं रहे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और JMM अध्यक्ष शिबू सोरेन, लंबी बीमारी के बाद गंगाराम अस्पताल में हुआ निधन
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और JMM संस्थापक शिबू सोरेन का दिल्ली में निधन हो गया. लंबे समय से बीमार चल रहे ‘दिशोम गुरु’ ने आदिवासी अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष किया. वे तीन बार मुख्यमंत्री बने लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. उनके निधन से झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया.

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का निधन हो गया. वे दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे. बीते कुछ समय से उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी और जुलाई के अंतिम सप्ताह में किडनी संबंधी समस्याओं के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था. लंबे समय से उनका इलाज नियमित रूप से चलता आ रहा था.
हेमंत सोरेन ने दी जानकारी
उनकी हालत बिगड़ने पर झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके पुत्र हेमंत सोरेन खुद दिल्ली पहुंचे थे. उन्होंने मीडिया को बताया था कि शिबू सोरेन को निगरानी में रखा गया है और डॉक्टर लगातार उनकी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. दुर्भाग्य से सभी प्रयासों के बावजूद उनका निधन हो गया.
पार्टी के अन्य नेता भी अस्वस्थ
JMM में स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं केवल शिबू सोरेन तक सीमित नहीं रहीं. शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन की हालत भी गंभीर बनी हुई है. एक दुर्घटना में बाथरूम में फिसलने के कारण उनके सिर में गंभीर चोट आई, जिससे मस्तिष्क में रक्त का थक्का जम गया. उन्हें पहले टाटा स्थित अस्पताल में भर्ती किया गया और फिर तुरंत एयर एम्बुलेंस से दिल्ली के अपोलो अस्पताल ले जाया गया.
आदिवासी संघर्ष के प्रतीक
11 जनवरी 1944 को हजारीबाग (अब झारखंड) में जन्मे शिबू सोरेन को आमतौर पर ‘दिशोम गुरु’ और ‘गुरुजी’ कहकर संबोधित किया जाता था. उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन आदिवासियों के अधिकारों और शोषण के विरुद्ध संघर्ष से शुरू किया. 1970 के दशक में चलाए गए ‘धनकटनी आंदोलन’ सहित अनेक जन आंदोलनों में वे जनजातीय समुदाय की आवाज बने.
राजनीतिक जीवन की शुरुआत
शिबू सोरेन ने पहली बार 1977 में चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे. इसके बाद 1980 से उन्होंने राजनीतिक बढ़त हासिल की और कई बार सांसद निर्वाचित हुए. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य की स्थापना के लिए किए गए आंदोलन में उनकी केंद्रीय भूमिका रही. उनके नेतृत्व में JMM ने आदिवासी समाज को एकजुट किया और उनके अधिकारों को संविधानिक मान्यता दिलाने में अहम योगदान दिया.
मुख्यमंत्री पद पर कार्यकाल
शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने 2005, 2008 और 2009 में. हालांकि, वे एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. राजनीतिक उठापटक, गठबंधन की खींचतान और कई बार आरोपों के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.


