राजनीतिक मतभेद भूल एक मंच पर साथ नजर आए शरद पवार और अजित पवार, दो साल बाद कैसे बना यह संयोग?
एनसीपी में राजनीतिक विभाजन के दो साल बाद युगेंद्र पवार की सगाई ने पवार परिवार को एक मंच पर ला दिया. शरद और अजीत पवार समेत पूरा परिवार शामिल हुआ. राजनीतिक मतभेदों के बावजूद पारिवारिक सौहार्द दिखा. सुप्रिया सुले ने केंद्र और राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और बढ़ते अपराध को लेकर निशाना साधा.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में हुए दो साल पुराने राजनीतिक विभाजन के बाद एक सुखद पारिवारिक क्षण ने दोनों गुटों को एक साथ ला खड़ा किया. रविवार को मुंबई में शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार और तनिष्का कुलकर्णी की सगाई समारोह में एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता शरद पवार और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार साथ दिखाई दिए. पारंपरिक तरीके से आयोजित इस समारोह में पारिवारिक प्रेम और सौहार्द की छवि देखने को मिली.
पारिवारिक मिलन का दृश्य
यह सगाई तनिष्का के मुंबई स्थित आवास पर एक निजी समारोह के रूप में आयोजित की गई थी. युगेंद्र पवार, अजीत पवार के छोटे भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं. समारोह में पूरा पवार परिवार शरद पवार, अजीत पवार, सुप्रिया सुले और अन्य परिजन एकत्रित हुआ. पारिवारिक विभाजन की पृष्ठभूमि के बावजूद सभी सदस्य मुस्कुराते और एक-दूसरे को आशीर्वाद देते नजर आए.
राजनीतिक विरोध के बावजूद दिखा संबंधों का सम्मान
गौरतलब है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में युगेंद्र ने बारामती सीट से अपने चाचा अजीत पवार के खिलाफ चुनाव लड़ा था और हार का सामना किया था. इसके बावजूद, इस पारिवारिक समारोह में कोई राजनीतिक कटुता नहीं दिखी. यह दृश्य उस सगाई समारोह के कुछ महीनों बाद का है जिसमें पवार परिवार ने अजीत पवार के छोटे बेटे जय पवार की सगाई में भी भाग लिया था.
एनसीपी का विभाजन
2023 में अजीत पवार द्वारा एनसीपी से अलग होकर भाजपा-समर्थित सरकार में शामिल होने के बाद पार्टी का औपचारिक विभाजन हुआ था. इस कदम ने न केवल राजनीतिक बल्कि पारिवारिक समीकरणों को भी बदल दिया. सुप्रिया सुले ने लोकसभा चुनाव में अपनी भाभी सुनेत्रा पवार के खिलाफ चुनाव लड़कर इस विभाजन को और गहरा किया.
सुप्रिया सुले का राजनीतिक हमला
राजनीतिक मोर्चे पर सुप्रिया सुले सरकार के खिलाफ मुखर रहीं. उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर महाराष्ट्र में बढ़ते अपराधों को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया. उनका कहना था कि अपराधियों में कानून का भय खत्म हो गया है और सरकार केवल मूकदर्शक बनी हुई है.
केंद्र की योजना पर घोटाले का आरोप
सुले ने केंद्र की योजना ‘माझी लड़की बहिन योजना’ में 4,900 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का आरोप भी लगाया, जिसके तहत महिलाओं को हर महीने ₹1,500 की आर्थिक मदद दी जाती है. साथ ही, उन्होंने बिहार में मतदाता सूची में अनियमितताओं को लेकर भी निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाए और चुनावी पारदर्शिता पर संसद में खुली बहस की मांग की.
राजनीति से परे रिश्तों की डोर
इस सगाई समारोह ने यह स्पष्ट किया कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद पवार परिवार के रिश्ते पूरी तरह टूटे नहीं हैं. खास मौकों पर वे एकजुट होकर यह संदेश देते हैं कि परिवारिक संबंध राजनीति से ऊपर होते हैं.


