निमिषा प्रिया को राहत नहीं, यमन में मौत की सजा अब भी बरकरार! सरकार ने कहा- 'गलत जानकारी'
केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में मौत की सजा रद्द होने की खबरों को लेकर विदेश मंत्रालय ने बड़ा बयान दिया है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि कुछ लोगों द्वारा इस मामले में जो जानकारी साझा की जा रही है वह गलत और भ्रामक है. अभी तक यमन सरकार की ओर से सजा रद्द होने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

Nimisha Priya Case: यमन में हत्या के एक मामले में दोषी ठहराई गई केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद्द होने की खबरों को लेकर विदेश मंत्रालय ने बड़ा बयान दिया है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह जानकारी गलत और भ्रामक है. मीडिया रिपोर्ट्स में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि कुछ व्यक्तियों द्वारा साझा की जा रही जानकारी सही नहीं है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने मंगलवार को इस पर बयान जारी कर साफ किया कि निमिषा की सजा को रद्द नहीं किया गया है.
बता दें कि सोमवार को भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय की ओर से दावा किया गया था कि यमन में निमिषा की मौत की सजा आधिकारिक रूप से रद्द कर दी गई है. हालांकि, बाद में खुद उसी कार्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यमनी सरकार से अब तक कोई आधिकारिक लिखित पुष्टि प्राप्त नहीं हुई है.
सरकार ने दावे का किया खंडन
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, "निमिषा प्रिया मामले में कुछ लोगों द्वारा जो जानकारी साझा की जा रही है, वह सटीक नहीं है." मंत्रालय ने कहा कि यमन सरकार की ओर से अभी तक कोई ऐसा आधिकारिक फैसला या दस्तावेज भारत सरकार को नहीं मिला है जिससे यह साबित हो सके कि निमिषा की मौत की सजा रद्द कर दी गई है.
ग्रैंड मुफ्ती कार्यालय का दावा
सोमवार को ग्रैंड मुफ्ती कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "जिस मौत की सजा को पहले अस्थायी रूप से निलंबित किया गया था, अब उसे पूरी तरह रद्द कर दिया गया है. सना में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया." हालांकि, बयान में यह भी कहा गया कि यमनी अधिकारियों से अभी तक लिखित में कोई औपचारिक पुष्टि नहीं मिली है.
16 जुलाई को होनी थी फांसी
निमिषा प्रिया को यमन में एक हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था. उन्हें 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी. लेकिन ग्रैंड मुफ्ती मुसलियार की अपील के बाद, यमनी अधिकारियों ने अंतिम समय पर फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी.
यमनी अधिकारियों के अनुसार, साल 2017 में निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की. लेकिन दवा की मात्रा अधिक होने से महदी की मौत हो गई. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 2018 में मुकदमा शुरू हुआ.
2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई. दिसंबर 2024 में यमनी राष्ट्रपति रशाद अल-अलीमी ने फांसी को मंजूरी दे दी थी. इसके बाद जनवरी 2025 में हूती नेता महदी अल-मशात ने भी इस पर अपनी सहमति जताई.
हाल के महीनों में भारत सरकार और सामाजिक संगठनों ने निमिषा को बचाने के लिए व्यापक प्रयास किए. विदेश मंत्रालय से लेकर विभिन्न धार्मिक संगठनों ने यमनी सरकार से सजा पर पुनर्विचार की अपील की थी. ग्रैंड मुफ्ती की पहल और मानवीय आधार पर की गई अपीलों के चलते यमनी प्रशासन ने फांसी पर रोक लगा दी .


