गुजरात के बनासकांठा में भीड़ ने वन और राजस्व विभाग के अधिकारियों पर किया हमला, 47 अधिकारी घायल
शनिवार दोपहर गुजरात के बनासकांठा जिले के पाडलिया गांव में एक गंभीर घटना हुई, जहां सरकारी अधिकारियों पर अचानक एक बड़ी भीड़ ने हमला कर दिया। लगभग 500 लोगों की भीड़ ने पुलिस, वन और राजस्व विभाग के अधिकारियों की एक जॉइंट टीम पर पत्थरों और तीर-कमान से हमला किया, जिसमें कुल 47 अधिकारी घायल हो गए।

गांधीनगर: गुजरात के बनासकांठा जिले के पडलिया गांव में शनिवार दोपहर एक गंभीर घटना सामने आई, जहाँ सरकारी अधिकारियों पर एक बड़े समूह ने अचानक हमला कर दिया.लगभग 500 लोगों की भीड़ ने पुलिस, वन और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम पर पत्थर और धनुष-बाण से वार किया, जिससे कुल 47 अधिकारी घायल हो गए.इस हमले ने प्रशासन के लिए सुरक्षा चुनौतियों को पुनः उजागर कर दिया है.
जानें पूरा मामला
बनासकांठा कलेक्टर मिहिर पटेल ने बताया कि यह हमला शनिवार को लगभग दोपहर 2:30 बजे हुआ, जब अधिकारी दांता तालुका के वन विभाग के सर्वे नंबर 9 क्षेत्र में नर्सरी और पौधरोपण का काम कर रहे थे.इसी दौरान अचानक बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए और टीम पर पथराव शुरू कर दिया.कुछ हमलावरों ने धनुष-बाण का भी इस्तेमाल किया, जिससे स्थितियाँ और भी गंभीर हो गईं.यह मामला अंबाजी तीर्थस्थल से करीब 14 किलोमीटर दूर का है.
हमले में घायल अधिकारियों में से 36 को अंबाजी सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि 11 अधिकारियों को गंभीर उपचार के लिए पालनपुर सिविल अस्पताल भेजा गया.अधिकारियों की हालत को अस्पतालों ने स्थिर बताया है, लेकिन घायलों की संख्या को देखते हुए प्रशासन की चिंताएँ बढ़ गई हैं.फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस हमले का मुख्य कारण क्या रहा और भीड़ ने अचानक यह हिंसक कदम क्यों उठाया.
प्रशासन ने जांच के दिए आदेश
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि घटना स्थल पहुंचकर अस्पतालों, पुलिस और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं.मौके पर स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है.साथ ही हमलावरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और FIR दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.अधिकारियों के अनुसार इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी.
घटना ने प्रशासन के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है कि किस तरह वन विभाग के आधिकारिक काम के दौरान स्थानीय लोगों का विरोध इतना उग्र रूप ले लेता है.इससे पहले भी देश के विभिन्न हिस्सों में सरकारी सर्वे या जमीन से जुड़े मामलों को लेकर तनाव और विवाद सामने आते रहे हैं, जिनमें कभी-कभी हिंसा भी हुई है.ऐसे मामलों में आमतौर पर स्थानीय समुदाय, प्रशासन और अधिकारियों के बीच संवाद और समझौते की आवश्यकता पर बल दिया जाता रहा है, ताकि निष्पक्ष समाधान निकाला जा सके.
बनासकांठा की यह घटना न सिर्फ स्थानीय स्तर पर, बल्कि राज्यभर में सुरक्षा व्यवस्था और लोक प्रशासन के कामकाज को लेकर सवाल खड़े कर रही है.अधिकारी इस घटना की गहन जांच कर रहे हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय लागू किए जा सकें और कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाया जा सके.


