मुंबई सीरियल धमाके केस में हाईकोर्ट का फैसला, 12 को किया गया बरी
2006 के मुंबई ट्रेन बम विस्फोटों में 189 मौतों के लगभग दो दशक बाद, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अविश्वसनीय साक्ष्यों और जबरन स्वीकारोक्तियों के आधार पर सभी 12 दोषियों को बरी कर दिया. यह फैसला अभियोजन पक्ष की कमजोर केस प्रस्तुति को लेकर आया है.

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सोमवार को 2006 के मुंबई उपनगरीय रेलवे बम विस्फोटों के सभी 12 दोषियों को बरी करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया. यह विस्फोट श्रृंखला भारत के सबसे भीषण और घातक आतंकवादी हमलों में से एक मानी जाती है, जिसमें सात अलग-अलग बम विस्फोटों में 189 लोगों की मौत हुई और 800 से अधिक घायल हुए थे. दो दशकों से अधिक समय बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष की कथित तौर पर कमजोर और संदिग्ध गवाही, साक्ष्यों की विश्वसनीयता और प्रक्रियागत खामियों को देखते हुए यह फैसला दिया.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने आदेश का मुख्य अंश पढ़ते हुए अभियोजन पक्ष के मामले में गंभीर खामियों की ओर ध्यान आकर्षित किया. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के मुख्य गवाह अविश्वसनीय थे और उनकी पहचान संदिग्ध थी. कई गवाह चार साल से भी अधिक समय तक चुप रहने के बाद अचानक आरोपी को पहचानने लगे, जो असामान्य और संदेहास्पद था. अदालत ने यह भी पाया कि एक गवाह ने घाटकोपर विस्फोट सहित अन्य कई अपराधों में गवाही दी, जिससे उसकी विश्वसनीयता कम हो गई.
हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को क्लीनचिट दी
अदालत ने यह भी बताया कि कई गवाह यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि इतने लंबे समय बाद उन्होंने आरोपियों की पहचान कैसे की. इसके अलावा, अभियोजन पक्ष फोरेंसिक साक्ष्यों की विश्वसनीयता साबित करने में विफल रहा. अदालत ने कहा कि जब तक विस्फोटक सामग्री फोरेंसिक लैब में पहुंची, तब तक उसके पवित्र होने का प्रमाण नहीं दिया गया.
मुंबई ट्रेन विस्फोट केस में 12 दोषी बरी
न्यायाधीशों ने अभियोजन पक्ष द्वारा उचित सावधानी न बरतने की आलोचना की और कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को “संदेह से परे” साबित करने में पूरी तरह असफल रहा. इसीलिए अदालत ने 2015 में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया.
न्यायालय ने साक्ष्य खारिज किए
मूल रूप से दोषी ठहराए गए 12 में से एक, कमाल अंसारी, 2021 में जेल में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था. बाकी 11 आरोपियों ने करीब 19 साल जेल में बिताए हैं और अब वे रिहाई के लिए तैयार हैं. कुछ अभियुक्तों के वकील युग मोहित चौधरी ने इस फैसले को गलत तरीके से जेल में बंद लोगों के लिए एक नई उम्मीद करार दिया. वहीं, सरकारी वकील राजा ठाकरे ने भी इस फैसले को स्वीकार करते हुए इसे भविष्य में मुकदमों के लिए मार्गदर्शक प्रकाश बताया. 2006 का मुंबई ट्रेन विस्फोट आज भी देश के इतिहास में एक काला दिन माना जाता है. इस मामले में हुई बरी करने वाली हाईकोर्ट की यह निर्णय, न्याय व्यवस्था में सबूतों की जांच और गवाहों की विश्वसनीयता की अहमियत को फिर से सामने लाता है.


