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तेजस्वी-तेजप्रताप की सियासी दूरी होगी खत्म? विधानसभा में एक साथ बैठेंगे लालू के दोनों बेटे

बिहार की सियासत में एक दिलचस्प मोड़ आने वाला है, जहां राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के दोनों कद्दावर नेता तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव बिहार विधानसभा में पहली बार आमने-सामने बैठते नजर आ सकते हैं. नई सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या यह भाईचारे की तरफ बढ़ता एक नया कदम होगा या सिर्फ एक औपचारिकता? सूत्रों की मानें तो पार्टी में एकता की तस्वीर दिखाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अंदरखाने की दरारें अभी भी पूरी तरह भरी नहीं हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

बिहार विधानसभा का अंतिम मानसून सत्र आज से शुरू हो गया है और इससे पहले ही सियासी गलियारों में गर्मी बढ़ गई है. राजनीतिक बहस का केंद्र एक बार फिर लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटों – तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव – के बीच बिगड़ते रिश्ते हैं. लेकिन इस बार विधानसभा सत्र में कुछ बदला हुआ दिखेगा, क्योंकि पार्टी और पारिवारिक विवाद के बावजूद दोनों भाई एक साथ, अगल-बगल की सीट पर बैठे नजर आएंगे.

ढाई महीने पहले पारिवारिक कलह के चलते लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेजप्रताप को पार्टी से निष्कासित कर दिया था और उन्हें घर से भी निकलने का फरमान सुना दिया था. ऐसे में तेजस्वी और तेजप्रताप का एक मंच पर साथ आना, और वह भी चुनावी मौसम में, राजनीतिक समीकरणों को एक नया मोड़ दे सकता है.

लालू परिवार का मनमुटाव बन गया था सियासी मुद्दा

तेजप्रताप यादव और उनकी गर्लफ्रेंड की तस्वीर वायरल होने के बाद से ही लालू परिवार में उथल-पुथल मची हुई थी. इस विवाद ने तेजप्रताप को न सिर्फ पार्टी से बाहर कर दिया, बल्कि उन्हें परिवार से भी दूरी बना लेनी पड़ी. तेजस्वी यादव पर तेजप्रताप की बेदखली में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप भी लगाया गया, जिससे दोनों भाइयों के रिश्तों में और कड़वाहट आ गई.

विधानसभा में सीटें वही, रिश्ता बदलेगा?

बिहार विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी की गई सीटिंग अरेंजमेंट में तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच कोई बदलाव नहीं किया गया है. यानी राजनीतिक दूरी के बावजूद दोनों भाई आज एक-दूसरे के बगल में बैठेंगे. यह दृश्य न केवल राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में खास रहेगा, बल्कि इससे लालू परिवार के भीतर फिर से संवाद की संभावनाएं भी नजर आएंगी.

मई के बाद पहली बार एक साथ मंच पर

3 मई को पटना में 'अत्यंत पिछड़ा वर्ग जागरूकता सम्मेलन' के बाद यह पहला मौका होगा जब दोनों भाई सार्वजनिक रूप से एक ही मंच पर साथ नजर आएंगे. इससे पहले तेजप्रताप लगातार विधानसभा सीटों का दौरा कर यह संकेत दे रहे थे कि वे RJD से अलग होकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं.  लेकिन इस सत्र में साथ बैठना यह इशारा भी कर सकता है कि दरवाजे अब भी पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं.

तेजप्रताप की वापसी का रास्ता खुला?

तेजप्रताप का पार्टी से निष्कासन चुनाव से कुछ ही महीने पहले हुआ, और उनकी वायरल तस्वीरों ने पार्टी की छवि पर असर डाला. लालू यादव ने इसे गंभीरता से लिया और तुरंत सख्त कदम उठाया. लेकिन अब, जब विधानसभा का अंतिम सत्र चल रहा है और चुनाव नजदीक हैं, पार्टी को एकजुटता दिखाना भी जरूरी हो गया है. ऐसे में तेजप्रताप की वापसी के लिए दरवाजे फिर से खुल सकते हैं, अगर वे नरम रुख अपनाते हैं.

राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं

अगर विधानसभा में बैठने की यह मजबूरी तेजस्वी और तेजप्रताप को बातचीत की ओर ले जाती है, तो यह चुनाव से पहले RJD के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है. तेजप्रताप का पार्टी से बाहर जाना न केवल वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यादव समुदाय में विभाजन भी पैदा कर सकता है जो कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए नुकसानदेह होगा.

क्या पांच दिन की नजदीकी मिटा पाएगी महीनों की दूरी?

इस पांच दिवसीय सत्र में अगर दोनों भाई न केवल साथ बैठते हैं, बल्कि आपस में संवाद भी करते हैं, तो यह RJD के भीतर एकता की नई शुरुआत हो सकती है. राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या विधानसभा की यह पास बैठने की मजबूरी तेजस्वी और तेजप्रताप के रिश्तों में जमी बर्फ को पिघला पाएगी?

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21 July 2025, 10:37 AM IST

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