दो साल से जमा कर रहे थे विस्फोटक... कई शहरों को उड़ाने की साजिश, डॉ. शाहीन के खुलासे से मचा हड़कंप
मुजम्मिल, अदील और शाहीन को तो जम्मू-कश्मीर पुलिस ने यूपी और हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर पहले ही धर दबोचा था. मगर असली मास्टरमाइंड डॉक्टर उमर, जो उस वक्त अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में लेक्चर दे रहा था. जो फिलहाल फरार है.

नई दिल्ली: दिल्ली लाल किला के पास सोमवार को हुए संदिग्ध कार ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है. सूत्रों के अनुसार, इस आतंकी हमले की साजिश के पीछे मुख्य मास्टरमाइंड डॉ. उमर उन नबी का नाम सामने आया है. बताया जा रहा है कि वह फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल का सबसे कट्टर सदस्य था.
इस मॉड्यूल से जुड़े अन्य आरोपी डॉक्टरों की पहचान डॉ. मुजम्मिल अहमद गणाई, डॉ. अदील मजीद राथर और डॉ. शाहीन शाहिद के रूप में हुई है. ये सभी डॉक्टर फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में कार्यरत थे और वहीं बैठकों के दौरान देशभर में आतंकी हमले की साजिशें रचते थे.
श्रीनगर में पूछताछ के दौरान डॉ. शाहीन बड़ा खुलासा
सूत्रों के मुताबिक, सोमवार रात श्रीनगर में हुई पूछताछ के दौरान डॉ. शाहीन शाहिद ने कबूल किया कि डॉ. उमर अक्सर भारत में कई आतंकी हमले करने की बातें किया करता था. वे सभी एक ही मेडिकल कॉलेज में काम करते थे और रोजाना काम के बाद गुप्त बैठकों में शामिल होते थे, जहां आतंकी गतिविधियों की योजनाएं बनती थीं.
दो साल से जमा कर रहे थे विस्फोटक
जांच एजेंसियों के अनुसार, उमर, मुजम्मिल और अदील लगभग दो वर्षों से अमोनियम नाइट्रेट जैसे उर्वरक-आधारित विस्फोटक जमा कर रहे थे. इनका उद्देश्य पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के निर्देश पर देशभर में बड़े पैमाने पर धमाके करना था.
डॉ. मुजम्मिल, अदील और शाहीन को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस के सहयोग से पहले ही गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन डॉ. उमर उस समय कॉलेज में पढ़ा रहा था और मौके का फायदा उठाकर फरार हो गया. अब माना जा रहा है कि वही रेड फोर्ट के पास हुए कार ब्लास्ट के पीछे का असली साजिशकर्ता है. सूत्रों ने बताया कि उमर ने एक i20 कार में अमोनियम नाइट्रेट और डिटोनेटर जैसे व्यावसायिक विस्फोटक भरकर धमाका किया.
जैश नेटवर्क के विस्तार का खुलासा
गिरफ्तार डॉक्टरों से पूछताछ में जैश-ए-मोहम्मद के एक विस्तृत नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है. शाहीन ने बताया कि उसका भाई परवेज सईद भी उसी चैट ग्रुप का हिस्सा था, जिसमें मुजम्मिल और अदील शामिल थे. मंगलवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक टीम ने लखनऊ में छापा मारकर परवेज को हिरासत में लिया. हालांकि अभी तक कोई बड़ी बरामदगी नहीं हो सकी है. एक अधिकारी के मुताबिक, संभावना है कि उसने गिरफ्तारी की आशंका में विस्फोटक सामग्री नष्ट कर दी हो.
इस बीच, जांच में गुरुग्राम के एक अमोनियम नाइट्रेट सप्लायर की पहचान भी हुई है, जिसके ठिकानों पर जल्द छापेमारी की संभावना जताई जा रही है.
मौलवियों के नेटवर्क से जुड़े थे आरोपी डॉक्टर
जांच एजेंसियों ने यह भी खुलासा किया है कि दिल्ली और फरीदाबाद में की गई छापेमारी के दौरान कई मौलवियों के नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जो शिक्षित युवाओं और पेशेवरों को कट्टरपंथ की राह पर धकेल रहे थे. इनमें शोपियां निवासी मौलवी इरफान अहमद वागे शामिल है, जो सीधे पाकिस्तान स्थित जैश हैंडलर उमर बिन खत्ताब उर्फ हर्जुल्ला के संपर्क में था.
वहीं मेवात के मौलवी हाफिज मोहम्मद इश्तियाक आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया करा रहा था. एजेंसियों के अनुसार, ये सभी मौलवी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए डॉक्टरों और उच्च शिक्षित युवाओं को भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए ब्रेनवॉश कर रहे थे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मेडिकल पेशा आतंकियों के लिए एक आदर्श ढाल था, जिससे वे बिना शक के अपनी साजिशों को अंजाम दे सकें.
पहले भी डॉक्टरों के आतंकी संगठनों से मिले थे लिंक
यह पहला मौका नहीं है जब किसी कश्मीरी डॉक्टर का नाम आतंकी गतिविधियों में सामने आया हो. नवंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एसएमएचएस हॉस्पिटल, श्रीनगर के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निसार उल हसन को आतंकवादी संगठनों से संबंधों के कारण बर्खास्त किया था.
डॉ. हसन डॉक्टर्स एसोसिएशन कश्मीर (DAK) का स्वघोषित अध्यक्ष था और जांच में पाया गया कि वह संगठन का इस्तेमाल मेडिकल पेशेवरों को अलगाववाद की ओर मोड़ने के लिए कर रहा था. एक अधिकारी ने कहा कि यह जांच का विषय है कि क्या डॉ. निसार उल हसन का फरीदाबाद में गिरफ्तार डॉक्टरों या दिल्ली ब्लास्ट से कोई सीधा या अप्रत्यक्ष संबंध था.


