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डॉक्टरों को कट्टरपंथी बनाने वाला मौलवी गिरफ्तार...कश्मीर से फरीदाबाद तक फैला आतंकी जाल, जानें कैसे अरेस्ट हुआ इमाम इरफान

जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले से इमाम इरफान अहमद वाघा और उसकी पत्नी को दिल्ली रेड फोर्ट विस्फोट और फरीदाबाद बम मामले से जुड़े आतंकी नेटवर्क में गिरफ्तार किया गया. इरफान पर डॉक्टरों और युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का आरोप है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नई दिल्ली : दिल्ली के लाल किला विस्फोट और फरीदाबाद बम बरामदगी मामले के बाद देशभर में चल रही बहु-एजेंसी जांच के तहत जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले से एक बड़ा खुलासा हुआ है. मंगलवार को काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) और श्रीनगर पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाकर इमाम इरफान अहमद वाघा को गिरफ्तार किया. अहमद की गिरफ्तारी के साथ उसकी पत्नी को भी हिरासत में लिया गया है. जांच एजेंसियों का दावा है कि इमाम और उसकी पत्नी ने घाटी के कई डॉक्टरों और युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर डालने में अहम भूमिका निभाई थी.

पैरामेडिकल कर्मचारी था इरफान अहमद वाघा
इरफान अहमद वाघा पहले सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) श्रीनगर में पैरामेडिकल कर्मचारी था. बाद में उसने नौगाम की एक मस्जिद में इमाम के रूप में काम शुरू किया. खुफिया सूत्रों के अनुसार, वह अपने धार्मिक प्रवचनों के ज़रिए डॉक्टरों और पढ़े-लिखे युवाओं को जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसी आतंकी संगठन की विचारधारा की ओर झुका रहा था. उसकी पत्नी पर भी आरोप है कि उसने डॉ. शाहीन नाम की महिला को प्रेरित किया, जिसने आगे चलकर जैश की महिला शाखा के गठन में मदद की.

मोबाइल फोन से मिली अहम जानकारी

जांच एजेंसियों ने वाघा के घर पर छापेमारी के दौरान मोबाइल फोन और डिजिटल दस्तावेज जब्त किए हैं. इन फोनों में कई ऐसे मैसेज और दस्तावेज मिले हैं जिनमें युवाओं को चरमपंथी उद्देश्यों के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए थे. इनमें धार्मिक शिक्षा और आध्यात्मिक संवाद के बहाने आतंकी योजनाओं को छिपाने की साजिश के संकेत मिले हैं.

जैश से जुड़े डॉक्टरों के साथ संबंध
जांच में यह भी सामने आया है कि इमाम इरफान का संबंध डॉ. मुझम्मिल शकील से था, जो डॉ. मोहम्मद उमर का करीबी सहयोगी बताया जा रहा है. डॉ. उमर पर दिल्ली के लाल किला विस्फोट को अंजाम देने का आरोप है. डॉ. मुझम्मिल, फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत था और कथित तौर पर वाघा द्वारा दिए गए कमरों से आतंकी गतिविधियाँ चला रहा था. सूत्रों के मुताबिक, दोनों डॉक्टर और इमाम जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े हुए थे.

दीवारों पर जैश के पोस्टर से खुला रहस्य
इमाम इरफान पहली बार खुफिया एजेंसियों की निगरानी में तब आया जब 19 अक्टूबर को नौगाम के बुनपोरा इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के नाम वाले पोस्टर दीवारों पर लगाए गए. बाद में गिरफ्तार युवकों ने पूछताछ में बताया कि पोस्टर इरफान वाघा ने उन्हें दिए थे. इसी के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने उस पर नजर रखना शुरू किया और आखिरकार सबूत मिलने पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

‘व्हाइट कॉलर टेररिज्म’ का नया चेहरा
जांच अधिकारियों ने इस पूरे नेटवर्क को ‘व्हाइट कॉलर टेररिज्म’ का उदाहरण बताया है जहां डॉक्टरों, शिक्षाविदों और धार्मिक नेताओं को आतंकी संगठनों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था ताकि आतंकी योजनाओं को वैचारिक या शैक्षणिक गतिविधियों के रूप में छिपाया जा सके. यह नया तरीका आतंकवाद के बौद्धिक प्रसार की ओर संकेत करता है, जहां हिंसा की जड़ें शिक्षा और धर्म के माध्यम से बोई जा रही हैं.

ऑपरेशन सिंदूर का बदला योजना थी
जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, यह पूरी साजिश जैश प्रमुख मसूद अजहर के परिवार की पाकिस्तान में हुई मौत का बदला लेने के उद्देश्य से रची गई थी. आतंकी संगठन भारत में एक साथ कई राज्यों में धमाके करने की योजना बना रहे थे. इमाम की गिरफ्तारी के साथ यह संपूर्ण नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो गया है और सुरक्षा एजेंसियों ने इसे एक बड़ी कामयाबी बताया है.

शिक्षा और धर्म के माध्यम से भी फैलाया जा रहा
शोपियां का इमाम इरफान अहमद वाघा और उसकी पत्नी की गिरफ्तारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद अब शिक्षा और धर्म के माध्यम से भी फैलाया जा रहा है. जांच एजेंसियों का कहना है कि यह गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक गहरे नेटवर्क के उजागर होने की शुरुआत है, जिसने देश की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी थी.

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12 November 2025, 08:57 AM IST

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