अगर जरूरत पड़ी तो मदरसे के बच्चों को लड़ाएंगे... पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के बयान से मचा बवाल,
भारत-पाक तनाव के बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो मदरसों के बच्चों को युद्ध में उतारा जाएगा और उन्हें "दूसरी लाइन ऑफ डिफेंस" बताया. यह बयान अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और जेनेवा संधि के नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है.

भारत-पाक तनाव के बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का एक हैरान कर देने वाला बयान सामने आया है. उन्होंने दावा किया है कि अगर जरूरत पड़ी तो पाकिस्तान अपने मदरसों के बच्चों को युद्ध में झोंक देगा. इसे उन्होंने "दूसरी लाइन ऑफ डिफेंस" बताया है. यह बयान न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों पर सवाल उठाता है, बल्कि पाकिस्तान की सेना और शासन की सोच को भी उजागर करता है.
यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव चरम पर है. भारत ने जहां पाकिस्तानी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया है, वहीं अब पाकिस्तान की ओर से इस तरह की बयानबाजी यह दर्शाती है कि वह किस हद तक जा सकता है.
मदरसे के बच्चों को बताए 'सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस'
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा, "अगर जरूरत पड़ी, तो हम अपने मदरसों के बच्चों को भी जंग के मैदान में उतारेंगे. ये हमारे लिए दूसरी लाइन ऑफ डिफेंस हैं." यह बयान न केवल पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वह अपने ही बच्चों को युद्ध की आग में झोंकने को तैयार है.
"We didn't defend against Indian drones as it would have given away our location"
— Akshat Deora (@tigerAkD) May 9, 2025
- Khawaja Asif
Defence minister of pakistan and enthusiastic social media observerpic.twitter.com/QKjKpaMW0w
अंतरराष्ट्रीय कानूनों की खुली धज्जियां
संयुक्त राष्ट्र और जेनेवा कन्वेंशन जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बच्चों का युद्ध में उपयोग प्रतिबंधित है. लेकिन पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के इस बयान से साफ है कि वहां की सरकार और सेना इन नियमों की कोई परवाह नहीं करती.
बच्चों को बना रहे हथियार
मदरसे, जो धार्मिक और नैतिक शिक्षा का केंद्र होने चाहिए, उन्हें पाकिस्तान 'सेना की फैक्ट्री' बना रहा है. यह न केवल इस्लामी शिक्षाओं के खिलाफ है, बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय की छवि को भी धूमिल करता है.
मानवाधिकार संगठनों ने की निंदा
भारत के कई रक्षा विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इस बयान की कड़ी निंदा की है. साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा है कि “बच्चों को युद्ध में झोंकना मानवता के खिलाफ अपराध है.”
क्या है पाकिस्तान की मानसिकता?
विशेषज्ञों के मुताबिक, पाकिस्तान इस वक्त आंतरिक अस्थिरता, आर्थिक तंगी और वैश्विक अलगाव से जूझ रहा है. ऐसे में वह इस तरह की बयानबाज़ी कर अपने कट्टरपंथी वर्ग को खुश करने और अंतरराष्ट्रीय ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है.