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अगर आप किसी पाकिस्तानी से पूछें...ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना प्रमुख ने समझाई पाक की कहानी

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान के ‘जीत’ के दावे को खारिज करते हुए कहा कि असली विजय दिमाग में होती है. ऑपरेशन सिंदूर को उन्होंने शतरंज जैसा रणनीतिक युद्ध बताया, जिसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति और नैरेटिव मैनेजमेंट ने अहम भूमिका निभाई. यह सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक जीत भी थी.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हालिया संघर्ष के बाद पाकिस्तान द्वारा खुद को विजेता बताने की कोशिश का मज़ाक उड़ाया. उन्होंने कहा कि नैरेटिव मैनेजमेंट सिस्टम यानी कथात्मक प्रबंधन युद्ध जितना ही अहम है, क्योंकि असली जीत पहले दिमाग में होती है. उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर आप किसी पाकिस्तानी से पूछेंगे कि वे जीते या हारे, तो उनका जवाब होगा, हम ही जीते, तभी तो हमारा प्रमुख फील्ड मार्शल बना.

रणनीतिक संदेश का महत्व

जनरल द्विवेदी ने बताया कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान की मनोवैज्ञानिक रणनीति का जवाब सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए दिया. उन्होंने कहा कि रणनीतिक संदेश देना बेहद ज़रूरी था, और हमारा पहला संदेश था. न्याय हुआ. इस संदेश को दुनियाभर से सबसे ज़्यादा हिट मिले. उन्होंने इस बात का ज़िक्र किया कि भारतीय सेना और वायुसेना की दो महिला अधिकारियों द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का असर वैश्विक स्तर पर देखा गया. उनके अनुसार, यह सरल संदेश था, लेकिन इसकी पहुंच दुनिया के हर कोने तक हुई.

नैरेटिव तैयार करने में मेहनत

सेना प्रमुख ने बताया कि दुनिया भर में जिस रणनीतिक दृश्य को लोग देख रहे थे, उसे एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक एनसीओ ने तैयार किया था. उन्होंने कहा कि ऐसे अभियानों में सिर्फ़ सैन्य कार्रवाई ही नहीं, बल्कि नैरेटिव मैनेजमेंट पर भी समान रूप से ध्यान देना पड़ता है. इसे तैयार करने में समय, प्रयास और समन्वय की आवश्यकता होती है.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ और शतरंज जैसी रणनीति

जनरल द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर की तुलना शतरंज के खेल से की, जिसमें दुश्मन की अगली चाल का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने कहा कि हम पारंपरिक युद्ध नहीं लड़ रहे थे, बल्कि ग्रे ज़ोन में थे, जहां हम रणनीतिक चालें चलते और जवाबी चालों का सामना करते. कभी हम दुश्मन को मात देते, तो कभी जोखिम उठाते. यही असली जीवन है.

राजनीतिक इच्छाशक्ति से मिला बल

उन्होंने एयर चीफ मार्शल एपी सिंह की बात दोहराते हुए बताया कि इस पूरे अभियान में सेनाओं को राजनीतिक नेतृत्व से पूर्ण स्वतंत्रता मिली. 23 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों से स्पष्ट कहा, “बहुत हो गया, अब कार्रवाई करनी होगी.” जनरल द्विवेदी के अनुसार, इस तरह का आत्मविश्वास और राजनीतिक स्पष्टता पहली बार देखने को मिली, जिससे जमीनी स्तर पर कमांडरों को तेज़ और निर्णायक फैसले लेने का बल मिला.

पहलगाम नरसंहार से ऑपरेशन सिंदूर तक

ऑपरेशन सिंदूर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए 22 अप्रैल के नरसंहार के जवाब में चलाया गया. पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों को गोलियों से भून दिया, जो दशकों में सबसे भयावह आतंकी हमला था. इस हमले ने पूरे देश को हिला दिया. जवाब में भारतीय सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. 7 मई की सुबह हवाई हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए. इसके अलावा, इस हमले में शामिल तीन आतंकियों को पिछले महीने ऑपरेशन महादेव में ढेर किया गया था.

सेना की स्पष्ट रणनीति

जनरल द्विवेदी का संदेश साफ़ था, युद्ध केवल मैदान में नहीं, बल्कि जनमत और दिमाग में भी लड़ा जाता है. पाकिस्तान के ‘जीत’ के दावे के बावजूद, जमीनी सच्चाई और रणनीतिक संदेश ने भारत की वास्तविक बढ़त को उजागर किया. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर न सिर्फ़ सैन्य जीत थी, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक सफलता भी थी.

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10 August 2025, 03:15 PM IST

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