चीन में जयशंकर ने एससीओ से आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एससीओ से आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ कड़ा, समझौता रहित रुख अपनाने का आग्रह किया. उन्होंने वैश्विक अव्यवस्था, संघर्ष और आर्थिक अस्थिरता के बीच सहयोग, स्थिरता और पारस्परिक सम्मान पर आधारित साझेदारी की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया. उन्होंने इस अवसर पर आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने के लिए "समझौता रहित" और "अडिग" रुख अपनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. जयशंकर की यह टिप्पणी विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवादी गतिविधियों और चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए गए समर्थन की पृष्ठभूमि में आई है.
उन्होंने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि यह हमला जानबूझकर धार्मिक विभाजन और पर्यटन पर आधारित अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने के लिए किया गया था. उन्होंने यह भी बताया कि इस हमले के जवाब में भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" चलाया, जिसके तहत पाकिस्तान-नियंत्रित क्षेत्रों में आतंकी ढाँचों को निशाना बनाया गया.
जयशंकर ने उठाया आतंकवाद का मुद्दा
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि एससीओ की स्थापना का उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ना रहा है, और संगठन को अपने मूल उद्देश्यों पर अडिग रहना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस हमले की कड़ी निंदा की और अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने की आवश्यकता को दोहराया.
आतंकवाद पर समझौता नहीं चलेगा
एससीओ की बैठक के दौरान जयशंकर ने क्षेत्रीय और वैश्विक अस्थिरता, आर्थिक चुनौतियों और बहुध्रुवीय दुनिया की दिशा में हो रहे परिवर्तनों पर भी चर्चा की. उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि एससीओ सदस्यों को वहाँ विकास सहायता बढ़ानी चाहिए.
पहलगाम हमला एससीओ के लिए चेतावनी
उन्होंने चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि कोई भी सहयोग पारस्परिक सम्मान, संप्रभु समानता और क्षेत्रीय अखंडता के आधार पर ही होना चाहिए. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) को बढ़ावा देने पर भी ज़ोर दिया. अंत में, उन्होंने कहा कि एससीओ की प्रभावशीलता इस पर निर्भर करेगी कि सदस्य देश कितनी प्रतिबद्धता और एकजुटता से साझा एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं.


