दीपू चंद्र दास समेत अल्पसंख्यकों की हत्या पर भारत ने जताई गंभीर चिंता, बांग्लादेश ने बताया गलत और भ्रामक
भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू, ईसाई और बौद्ध समुदायों के खिलाफ लगातार हिंसा पर गंभीर चिंता जताई है. दीपु चंद्र दास की मिमेंसिंग में हत्या के बाद यह मुद्दा उभरा. बांग्लादेश ने इसे “गलत प्रस्तुति” करार दिया और कहा कि isolated criminal incidents को अल्पसंख्यक विरोधी हिंसा के रूप में पेश करना भ्रामक है.

नई दिल्ली : भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ लगातार हिंसा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है. भारत की विदेश मंत्रालय ने 18 दिसंबर को मिमेंसिंग में हुए हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या को विशेष रूप से उजागर किया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयस्वाल ने कहा कि हिंदू, ईसाई और बौद्ध समुदायों के खिलाफ लगातार दुर्व्यवहार और हिंसा अत्यंत गंभीर मुद्दा है. उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक संकट के बाद से इस तरह की घटनाओं में वृद्धि हुई है.
बांग्लादेश सरकार की प्रतिक्रिया
हत्या, आगजनी और भूमि हड़पने जैसे मामले शामिल
भारत ने इस हत्याकांड को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के संकेत के रूप में देखा. जयस्वाल ने उल्लेख किया कि इस दौरान 2,900 से अधिक हिंसक घटनाओं का स्वतंत्र स्रोतों द्वारा दस्तावेजीकरण किया गया, जिसमें हत्या, आगजनी और भूमि हड़पने जैसे मामले शामिल हैं. उन्होंने बांग्लादेश सरकार से दोषियों को न्याय दिलाने की उम्मीद जताई.
मीडिया और अफवाहों का प्रभाव
बांग्लादेश की प्रतिक्रिया में यह भी कहा गया कि कुछ भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इन घटनाओं का गलत इस्तेमाल कर विरोधाभासी भावनाएं फैला रहे हैं. मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि ऐसे प्रयास सीमा पार गलत धारणाओं और नकारात्मक भावना को बढ़ावा दे सकते हैं.
भारत और बांग्लादेश के बीच अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर मतभेद ने क्षेत्रीय कूटनीति और दो देशों के बीच आपसी विश्वास पर दबाव डाला है. जबकि भारत इसे गंभीर चिंता का मुद्दा मानता है, बांग्लादेश इसे “गलत प्रस्तुति” मानता है. दोनों देशों के बीच इस संवेदनशील मामले में संवाद और पारदर्शिता महत्वपूर्ण हो गई है ताकि अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता बनी रहे.


