आसिम मुनीर का विरोधी और रिटायर्ड आर्मी अफसर आतंकी घोषित...जानें PAK सरकार ने क्यों दी ये सजा
पाकिस्तान सरकार द्वारा मेजर (रिटायर्ड) आदिल रजा को शेड्यूल-4 के तहत आतंकवादी घोषित किए जाने से विवाद गहरा गया है. आदिल रजा ने इसे सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने की सजा और ट्रांसनेशनल दमन बताया. लंदन स्थित उनके घर में हुई घुसपैठ को भी उन्होंने डराने की कोशिश करार दिया.

नई दिल्ली : पाकिस्तान सरकार द्वारा मेजर (रिटायर्ड) आदिल रजा को शेड्यूल 4 के तहत आतंकवादी घोषित किए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. यह फैसला ऐसे समय पर आया है, जब आदिल रजा पहले से ही पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक व्यवस्था के मुखर आलोचक माने जाते हैं. इस कदम को लेकर खुद आदिल रजा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे अपने खिलाफ “ट्रांसनेशनल दमन” करार दिया है. उनका कहना है कि यह कार्रवाई किसी कानूनी या आपराधिक आधार पर नहीं, बल्कि उनकी आलोचनात्मक पत्रकारिता और सत्ता के खिलाफ खुलकर बोलने का नतीजा है.
लंदन स्थित घर में घुसपैठ की घटना
डराने-धमकाने की राजनीति का आरोप
आदिल रजा का कहना है कि यह घटना यूके में पाकिस्तान सरकार के आलोचकों और असंतुष्टों के खिलाफ बढ़ते दबाव और दमन की ओर इशारा करती है. उन्होंने इस हमले की तुलना इमरान खान के करीबी माने जाने वाले शहजाद अकबर पर कैंब्रिज में हुए हमले से की और कहा कि ये घटनाएं किसी संयोग का हिस्सा नहीं लगतीं. उनके अनुसार, यह एक सुनियोजित रणनीति है, जिसके तहत विदेशों में रह रहे आलोचकों को डराने की कोशिश की जा रही है.
‘सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने की सजा’
आदिल रजा ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान सरकार पहले उन्हें यूके से प्रत्यर्पित कराने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन जब उसमें सफलता नहीं मिली, तो अब उन्हें आतंकवादी घोषित कर दिया गया. उन्होंने साफ कहा कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत या आपराधिक मामला नहीं है. यह फैसला केवल इसलिए लिया गया क्योंकि वह सत्ता के दुरुपयोग, सैन्य हस्तक्षेप और लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन पर सवाल उठाते रहे हैं. उनके मुताबिक, यह पूरी कार्रवाई अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने का प्रयास है.
दबाव के बावजूद संघर्ष जारी रखने का संकल्प
इन तमाम घटनाओं के बावजूद आदिल रजा ने यह स्पष्ट किया है कि वह किसी भी प्रकार के दबाव या उत्पीड़न से डरने वाले नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह इस घोषणा को अपमान नहीं, बल्कि अपने संघर्ष की पहचान के रूप में देखते हैं. उनका मानना है कि यह सब उन्हें चुप कराने की कोशिश है, लेकिन वह आगे भी लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आम लोगों की आवाज के लिए मजबूती से खड़े रहेंगे. आदिल रजा ने दो टूक कहा कि कोई भी दमन अभियान उनके विचारों और संघर्ष को रोक नहीं सकता.


